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मेरठ के दूध बेचने वाले का बेटा ‘प्रियम गर्ग’ संघर्ष कर IPL 2020 तक पहुँचा, 11 साल में माँ का साया भी छूटा

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IPL 2020 के 13वें सीजन में कई ऐसे में नाम है, नए चेहरे हैं जिन्हें शायद ही आज तक लोगों ने देखा होगा या उनका नाम सुना होगा। IPL में बस कुछ ही दिनों में कुछ युवा ऐसे भी दिख रहें जिन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से अपने फैंस के दिलों में घर बना लिया है और उन्हीं में से एक नाम आता है मेरठ के रहने वाले ‘प्रियम गर्ग‘ का।

Priyam-Garg
indiatimes.com

प्रियम गर्ग एक ऐसा नाम जिनके कप्तानी में ही अंडर-19 वर्ल्डकप 2020 में इंडिया कि टीम उपविजेता बनी थी। फिलहाल वह आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ़ से खेलते हुए, अपनी क़ाबलियत को साबित कर दिखाया है और IPL के 14 वें मैच में चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने 23 गेंदों में अपना पहला IPL अर्धशतक जड़ा। उन्होंने 26 बॉल पर 51 रन मारा, जिसकी वज़ह से टीम का स्कोर 164 / 5 तक पहुँच पाया और SRH 7 रनों से जीत हासिल किया।

प्रियम गर्ग को इस मैच में उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए “मैन ऑफ द मैच” भी घोषित किया गया। लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि प्रियम गर्ग कहाँ के रहने वाले हैं और उनकी क्रिकेट की जर्नी की कैसे शुरुआत हुई? तो आज हम बताने वाले हैं आपको प्रियम गर्ग के बारे में…

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दरअसल एक गरीब परिवार में जन्में प्रियम गर्ग ने अपने जीवन में कई दुःख सहे हैं, जीवन में बहुत ही संघर्ष किया, तब जाकर उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है। प्रियम का जन्म 30 नवंबर 2000 को यूपी के मेरठ में क़िला परीक्षितगढ़ में हुआ। उनके पिता नरेश अग्रवाल दूध बेच कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। बहुत छोटी उम्र से ही गौरव ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और बड़े होकर एक बड़ा क्रिकेटर बनने का सपना देखना शुरू कर दिया।

उनके सपने को लेकर उनकी माँ कुसुम रस्तोगी खुश नहीं थी। उन्हें यह डर रहता था कि अगर वह सिर्फ़ खेलता ही रहेगा। अगर पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया तो अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर लेगा और कुछ नहीं कर पाएगा। उनकी माँ चाहती थी कि उनका बेटा बड़ा होकर एक अधिकारी बने। तो वही पिता नरेश गर्ग भी अपने ग़रीबी के आगे मजबूर रहें और वह भी उन्हें क्रिकेट खेलने से रोकने लगे।

आगे चलकर प्रियम के मामा ने उनको क्रिकेटर बनाने के लिए उनके माता-पिता को राजी किया। तब जाकर पिता ने बेटे का सपना पूरा करने के लिए मेरठ में संजय रस्तोगी की अकादमी में प्रियम गर्ग का दाखिला करा दिया। संजय, ये वही संजय हैं जो भारत के दिग्गज तेज़ गेंदबाज-गेंदबाज भुनेश्वर कुमार और प्रवीण कुमार के कोच तक रह चुके हैं। अकादमी ज्वाइन करने के बाद प्रियम गर्ग के पिता पर और भी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई। परिवार के आर्थिक तंगी से भी गुजरने के बावजूद भी उनके पिता ने उनके सपने को सच करने के लिए हर मुश्किलों से लड़ते रहे।

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प्रियम के पिता, प्रियम को अकादमी तक छोड़ने और वापस लाने जाते थे। कई बार साधन न होने की वज़ह से उन्हें 20 किलोमीटर दूर साइकिल से बेटे को अकादमी छोड़ने जाना पड़ता था और कभी-कभी तो प्रियम ख़ुद कंधे पर किट बैग लटकाए बस से अकादमी के लिए सफ़र किया करते थे।

उनके कोच संजय रस्तोगी भी प्रियम गर्ग की क़ाबलियत के मुर्शीद हो गए। लेकिन जब रस्तोगी ने उनके परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में जाना तो उन्होंने प्रियम गर्ग से फीस लेने से इंकार कर दिया और उन्हें फ्री में ट्रेनिंग देने लगे।

मां की मौत ने प्रियम को अंदर तक झकझोर कर रख दिया

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वो कहते हैं ना कि जब भगवान देते हैं तो छप्पर फाड़ के और छिनते हैं तो भी छप्पर फाड़ के। प्रियम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब प्रियम गर्ग की उम्र करीब 11 साल थी तो उनके सिर से माँ का साया उठ गया और उन्हें एक गहरा आघात लगा। वह एकदम से टूट चुके थे, उनका परिवार बिखर गया था। माँ की मृत्यु के बाद प्रियम ने अकादमी जाना छोड़ दिया।

लेकिन उस समय पिता ने मजबूती के साथ प्रियम के साथ खड़े रहे और उनका हौसला बनाए रखा। उनके पिता ने उनको माँ और पिता दोनों का प्यार दिया। पिता के समझाने पर प्रियम दोबारा अकादमी जाने लगे। प्रियम गर्ग का एक सपना है कि वह एक बार सचिन से मिलकर बल्लेबाजी के कुछ टिप्स ज़रूर ले। प्रियम ने कोच संजय रस्तोगी के नेतृत्व में अपने खेल को निखारा और उनसे बहुत कुछ सीखा।

प्रियम को 12 साल की उम्र में ही अंडर-14 की टीम में जगह मिल गई। वह पहली बार चर्चा में तब आए थें, जब उन्होंने यहाँ खेलते हुए दोहरा शतक जड़ा था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अंडर-16 में गर्ग का चयन हुआ तो उन्होंने यहाँ भी दोहरा अर्धशतक लगाया।

कब बने प्रियम अंडर-19 विश्वकप के कप्तान?

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साल 2018 में प्रियम को यूपी की रणजी टीम में खेलने का मौका मिला। अपने पहले सत्र में ही प्रियम ने 11 मैचों में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 800 से अधिक रन बना डाले। उनके इस बेहतरीन बल्लेबाजी को देखते हुए उन्हें न सिर्फ़ अंडर-19 विश्वकप 2020 के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया, बल्कि उन्हें टीम की कप्तानी भी सौंप दी गई और इनके नेतृत्व में ही भारतीय टीम फाइनल तक पहुँची, लेकिन यह अलग बात है कि विजेता नहीं बन सकी।

विश्वकप में प्रियम के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए आईपीएल फ्रेंचाइजी सनराइजर्स हैदराबाद ने उन्हें 1.9 करोड़ रूपये में खरीदा। खैर आईपीएल 2020 के शुरूआती मैच में वह कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखा सकें। लेकिन इनकी टीम को इनसे आगे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है और यह भी उम्मीद है कि वह आगे ज़रूर ही एक बार फिर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लोगों के दिल में जगह बनाएंगे।

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News Desk
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