Police Officer Manish Mishra – हम सभी आए दिन ऐसी सच्ची कहानियाँ या किस्से सुनते रहते हैं, जो हमारे दिलको छू जाते हैं। कई ऐसी घटनाएँ, जिसमें लोग मानवता की खातिर ज़रूरतमंदों की मदद किया करते हैं तो उनके बारे में सुनकर पता चलता है कि दुनिया में इंसानियत आज भी ज़िंदा है। ऐसी ही एक सच्ची कहानी आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं, जिसमें जहाँ एक तरफ़ बुलंदी पर बैठा एक शख़्स एक ही पल में दर-बदर भटकता भिखारी बन जाता है, वहीं दूसरी ओर एक पुलिस ऑफिसर ठंड में कांपते भिखारी की मदद करने जाता है तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता, क्योंकि वह भिखारी उन्हीं के बैच का एक होनहार पुलिस ऑफिसर होता है, जो 10 वर्षों से लापता था।
तो चलिए जानते हैं कि उस DSP ने अपने दोस्त को कैसे पहचाना और आख़िर ऐसा क्या हुआ जो एक अचूक निशानेबाज पुलिस ऑफिसर भिखारी बनने को मजबूर हो गया…
ये थी पूरी घटना…
गत वर्ष जब मध्य प्रदेश में उप चुनाव हुए थे, उसी दौरान 10 नवंबर के दिन चुनाव के बाद मतगणना की जा रही थी। मतगणना के वक़्त सुरक्षा प्रबंध की जांच करने के लिए DSP रत्नेश सिंह तोमर तथा विजय सिंह भदौरिया ग्वालियर में सड़कों पर गश्त लगा रहे थे। तभी रात के करीब डेढ़ बजे उन्होंने देखा कि सड़क के किनारे एक भिखारी बैठा है, जो ठंड से कांप रहा था। जब उन्होंने भिखारी की ऐसी दशा देखी तो उसका हाल-चाल पूछकर उसकी मदद करने के लिए एक ऑफिसर ने उन्हें अपने जूते दे दिए और दूसरे ऑफिसर ने अपनी जैकेट दे दिया। फिर वे दोनों जब वहाँ से जाने लगे तो उन्हें उनके नाम से किसी ने आवाज़ दी, यह आवाज़ जानी पहचानी थी। उन्होंने देखा कि वह भिखारी उन्हें उनके नाम से पुकार रहा था, इससे उन्हें बहुत हैरानी हुई।
फिर जब वे वापस मुड़कर उस भिखारी के पास आए और उससे पूछा कि तुम कौन हो? तो भिखारी का जवाब सुनकर दोनों पुलिस वाले ख़ुशी व आश्चर्य से ओतप्रोत हो गए।
भिखारी निकला 10 साल से लापता दोस्त और पुलिस ऑफिसर
असल में वह भिखारी उनका कई साल पुराना दोस्त व उन्हीं के बैच का ऑफिसर मनीष मिश्रा (Manish Mishra) था। उन्हें देखते ही उन दोनों दोस्तों ने गले लगा लिया। मनीष मिश्रा एक ऐसे पुलिस अफसर थे, जिनकी काबिलियत पर सभी को नाज़ हुआ करता था। वे ना सिर्फ़ एक होनहार पुलिस ऑफिसर थे बल्कि अच्छी निशानेबाजी के लिए भी बहुत मशहूर थे। वर्ष 1999 बैच के तेजतर्रार शूटर इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा को जब उन्होंने इन हालातों में देखा तो उन सभी पुलिस दोस्तों को अत्यंत दुख हुआ।
फिर मनीष मिश्रा के दोस्तों ने उनको स्वर्ग सदन आश्रम नामक एक संस्था में भर्ती कराया, ताकि उनका इलाज़ हो सके। उनका मानसिक संतुलन खराब होने की वज़ह से वे करीब 10 सालों से एक भिखारी की तरह अपनी ज़िन्दगी गुजार रहे थे। उनकी पारिवारिक हालात खराब होने के कारण उनका मानसिक संतुलन बिगड़ रहा था। फिर जब उन पुलिस दोस्तों ने उनका इलाज़ कराने की कोशिश की तो वे उस आश्रम से भाग गए।
इलाज कराने की कोशिश की तो भाग गए
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2005 तक मनीष मिश्रा ने पुलिस विभाग में अपनी सेवाएँ दी। उस समय उनकी ड्यूटी दतिया जिले में लगी हुई थी। फिर उसी के बाद उनकी मानसिक दशा बिगड़ गयी और हालत काफ़ी खराब हो गयी। मानसिक स्थिति बिगड़ने के पश्चात करीब 5 वर्षों तक वे घर पर ही रहा करते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि मनीष जी को उनके परिजनों ने बहुत से सेंटर व आश्रमों में भर्ती कराया था, परन्तु हर बार वे वहाँ से भाग निकलते थे। फिर एक बार जब वे भागे तो उनका परिवार भी उन्हें ढूँढ नहीं सका। किसी को पता नहीं चल पाया कि आख़िर वे कहाँ चले गए।
क्या थी पुलिस अफसर से भिखारी बनने की वजह…?
एक काबिल पुलिस अफसर मनीष मिश्रा की इस हालत की वज़ह के बारे में जब उनके परिवारवालों से पूछा गया तो इस बारे में उनके भाई उमेश मिश्रा ने बताया कि मनीष की ऐसी दशा उनके तलाक के बाद से ही होने लगी थी। जब उनका तलाक हुआ तो उसके बाद से ही उनका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा था और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपना दिमागी संतुलन खो दिया। फिर तो वर बार-बार अपनी पत्नी के बारे में ही बात करते रहते थे। गौरतलब है कि मनीष मिश्रा के बड़े भाई उमेश मिश्रा उन समय गुना जिले में थाना प्रभारी की पोस्ट पर तैनात थे। उनके पिताजी व चाचाजी एडिशनल एसपी से रिटायर हुए हैं।
उमेश मिश्रा के अनुसार मनीष ने एक योग्य पुलिस सब-इंस्पेक्टर के रूप में पुलिस फोर्स में शामिल हुए थे। वे अपने काम के कारण लोगों के बीच शुरु से ही चर्चा का विषय रहे। मनीष की पत्नी न्यायिक सेवा में पदस्थ हैं। कुछ समय बाद मनीष व उनकी पत्नी के मध्य वैचारिक मतभेद होने लगे थे। फिर इसके बाद उन दोनों के तलाक की नौबत आ गयी। तलाक के बाद मनीष की दिमागी हालत बिगड़ गयी।
उनके दोस्तों ने उन्हें स्वर्ग सदन आश्रम में भर्ती कराकर उनका इलाज़ करवाया। फिर इलाज़ होने पर धीरे-धीरे वे बेहतर होने लगे थे। इसके बाद तो उन्होंने कहा कि वे पुनः पुलिस फोर्स ज्वाइन करना चाहते हैं। मनीष जी के इलाज़ के बाद भी उनके वे दोस्त रत्नेश तोमर व विजय भदौरिया और साथ ही उनके दूसरे पुलिस दोस्त भी उनसे मिलने आते रहते थे।
हम उम्मीद करते हैं कि मनीष मिश्रा (Manish Mishra) अपने बीते कल को भुलाकर एक नई शुरुआत करेंगे और फिर से पुलिस फोर्स ज्वॉइन करके देश को अपनी सेवाएँ देंगे। Police Officer Manish Mishra