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हिंदी मीडियम से पढ़ा बेहद शर्मीला साधारण सा लड़का कैसे खड़ा कर लिया 1 लाख करोड़ का साम्राज्य

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एक सफल इंसान के पीछे कई सारे संघर्ष छुपे रहते हैं संघर्ष जितना ज़्यादा होता है, सफलता उतनी ही बड़ी इतिहास रचती है। यह बात सौ फ़ीसदी सत्य साबित होती है ‘पेटीएम‘ (PayTm) के संस्थापक ‘विजय शेखर शर्मा‘ (Vijay Shekhar Sharma) पर, जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में आए तमाम उतार-चढ़ाव का बिन घबराए सामना किया और आज उनकी इस कंपनी ने ऑनलाइन पेमेंट के जगत में क्रांति ला दिया है। विजय शेखर शर्मा आज ‘Hurun India‘ के ‘Richest Person2020‘ के लिस्ट में 44वें नंबर पर स्थित हैं, जिनकी निजी संपत्ति ₹23000 करोड़ की है।

उत्तर प्रदेश के एक बेहद साधारण परिवार में जन्म लेने वाले ‘विजय शेखर शर्मा‘ (Vijay Shekhar Sharma) के पिता एक स्कूल टीचर हैं। पढने में काफ़ी मेधावी रहे विजय ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में 10वीं और 14 वर्ष की उम्र में 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी और फिर उनका दाखिला दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ। शुरुआत से ही उनके पढ़ाई का माध्यम हिन्दी रहा था, तो उनकी इंग्लिश थोड़ी कमजोर थी। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्हें इसका अहसास हुआ और इस बात से घबराए बिना विजय ने इंग्लिश पर विशेष ध्यान दिया और कभी अपना आत्मबल कमजोर नहीं होने दिया।

 Vijay-Shekhar-Sharma-success-story

घर की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखते हुए उन्होंने कॉलेज के दौरान ही अपने दोस्त के साथ मिलकर बिजनेस करना शुरू कर दिया था और 1997 तक आते-आते दोस्त के साथ विजय ने ‘indiasite. net‘ नाम से एक कंपनी खोली और जमने के बाद इसे एक अमेरिकन कंपनी को बेच कर उसी कंपनी में काम करने लगे। इस कंपनी में उन्होंने 1 साल तक काम किया और फिर एक बार उन्हें ख़ुद का बिजनेस करने का ख़्याल आया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने अपने जॉब से इस्तीफा दिया और स्वदेश लौट आए।

भारत आने के बाद 2001 में उन्होंने ख़ुद के बचाये पैसों से ‘one97‘ नामक कंपनी की शुरुआत की जो कस्टमर्स को मोबाइल से जुड़े वैल्यू ऐडेड सर्विसेज जैसे- Exam results, Ring tones, Cricket scores और Jokes प्रदान करती थी। उनके लगन से धीरे-धीरे यह कंपनी विस्तृत हुई और हच और एयरटेल जैसी कंपनियों के साथ कांट्रैक्ट करने में सफल रही। लेकिन उनका सही संघर्ष तो इसके बाद शुरू हुआ।

2011 में आए आर्थिक गिरावट में कंपनी दिवालिया हो गई। कंपनी को फिर से शुरू करने के लिए अपने दोस्तों रिश्तेदारों से 24% की दर से ब्याज पर पैसे लिए। कंपनी शुरू हो गई, परंतु उससे होने वाले आय लोगों के ब्याज देने, ऑफिस का रेंट भरने और 22 Employees की सैलरी देने में ख़त्म हो जाती थी।

उनके संघर्ष की इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कार छोड़ बस से सफ़र करना शुरू कर दिया और यहाँ तक कि खाना छोड़ चाय बिस्किट खाने लगे थे। जब उनके पास घर का बहुत दिन का किराया बाक़ी रह गया तो उस दौरान वह रात को घर देर से जाते और सुबह एकदम जल्दी निकल जाते थें, ताकि मकान मालिक की नज़र उन पर ना पड़ जाए और वह उनसे रेंट ना मांगने लगे।

कुछ आय बढे इसके लिए उन्होंने एक जगह कंसलटेंट का काम करना शुरू कर दिया था। वह अपनी बहन को अपना आदर्श मानते हुए संघर्ष करते जा रहे थे जो कि एक एनजीओ चलाती हैं और काफ़ी हिम्मती हैं। उन्होंने जमकर लड़ने के लिए प्रेरित किया था।

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इस दौरान ‘विजय’ ने भारत में बढ़ते हुए स्मार्टफोन यूजर्स पर ग़ौर किया और इस क्षेत्र में कुछ अलग करने का विचार किया कर अपनी पुरानी कंपनी ‘one97‘ के अंतर्गत ‘paytm. com‘ नाम से एक वेबसाइट शुरू किया और मोबाइल रिचार्ज की सुविधा देनी शुरू कर दी। बाज़ार में प्रचलित अन्य मोबाइल रिचार्ज सेवाओं के उपलब्ध होने के बावजूद भी इनकी कंपनी चल पड़ी क्योंकि अन्य के मुकाबले पेटीएम को यूज करना काफ़ी आसान था। जल्द ही इसके लाखों ग्राहक बनते गए। कंपनी को आगे जाते देख वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखें और इसे विस्तृत करने में लग गए। इसके अंतर्गत अन्य सेवाओं जैसे-ऑनलाइन वॉलेट, रिचार्ज, बिल पेमेंट, मनी ट्रांसफर, बुकिंग तथा कई अन्य को जोड़ दिया।

आज Paytm के 322 मिलीयन Active Users और 130 मिलियन वाॅलेट यूजर्स हैं। अपने कठिन परिश्रम के दम पर आज ‘विजय शेखर’ नें ‘पेटीएम’ को 16 बिलियन डॉलर (₹1, 18, 400 करोड़) की कंपनी बना दी है।

अपना आदर्श कारोबारी हॉटमेल के संस्थापक ‘सबीर भाटिया’ और याहू के संस्थापक ‘जैरी यांग’ एंड ‘डेविड फिलो’ को मानने वाले ‘विजय शेखर शर्मा‘ (Vijay Shekhar Sharma) ने अपने संघर्ष, मेहनत और लगन से जो हासिल किया है वह निश्चय ही हम सबके लिए बहुत ही ज़्यादा प्रेरणादाई है। इनकी ज़िन्दगी हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ कितनी भी खराब क्यों ना हो आप बिन घबराए उसका सामना करें सफलता आपको ज़रूर मिलेगी।

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