Homeप्रेरणावेस्ट मटेरियल से ईको फ्रेंडली ईंट तैयार कर रही हैं हिमाचल की...

वेस्ट मटेरियल से ईको फ्रेंडली ईंट तैयार कर रही हैं हिमाचल की नेहा, एक ईंट की कीमत है सिर्फ 6 रुपये

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Neha Thakur Eco Friendly Bricks: आज की युवा पीढ़ी सिर्फ स्मार्टफोन और महंगे गैजेट्स चलाने के लिए मशहूर नहीं है। बल्कि ये युवा पीढ़ी कभी-कभी कचरे के ढेर से भी महल बनाने का हुनर रखती है। जी हां, ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी सरकाघाट की नेहा ठाकुर ने।

वेस्ट और बेकार मैटीरियल जैसे की कागज, बारीक रेत, नारियल के छिलकों और साधारण सीमेंट से नेहा ने ईको फ्रेंडली ईंटें तैयार किए हैं। ये ईंटें पर्यावरण के लिए फायदेमंद होने के साथ ही कम लागत और कम वजन में बाजार में उपलब्ध होंगी। प्राकृतिक रेशों से तैयार की गई ये ईंटें मकान की दीवारों, सुरंगों और फुटपाथ की चिनाई में लगाई जा सकेंगी।

इन ईको फ्रेंडली ईंटों में एक ईंट की कीमत मात्र 6 रुपये की होगी। जबकि बाजार में उपलब्ध दूसरी एक ईंट 10 से 12 रुपये में मिलती है। ईको फ्रेंडली एक ईंट का भार लगभग तीन किलोग्राम तक होने की संभावना है। जबकि दूसरी वैरायटी की ईंट का वजन लगभग चार किलो तक होता है। आमतौर पर बाजार में उपलब्ध दूसरी ईंटों में पानी को सोखने की क्षमता बहुत अधिक होती है, लेकिन इस ईको फ्रेंडली ईंट में बहुत कम पानी सोखने की क्षमता है।

पानी को संरक्षित करेगी ईको फ्रेंडली ईंट

इन ईको फ्रेंडली ईंटों में पानी को कम सोखने की क्षमता के कारण पानी का संरक्षण होने में मदद मिलेगी। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग करने वाली नेहा वर्तमान समय में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर हैं। नेहा बताती है कि इन ईंटों को तैयार करने का मकसद नारियल फाइबर के साथ रेत को आंशिक रूप से बदलकर को फाई ब्रिक्स बनाना और पर्यावरण के अनुसार ईंटों को विकसित कर बेकार कागज का उपयोग करना है।

वह हमेशा से सोचती थीं कि भारत में वेस्ट की समस्या सबसे अधिक है और इसे कैसे कम किया जाए। कई शोधकर्ताओं ने इसे कम करने के लिए अलग-अलग तरह के शोध किए। मगर किसी ने इस तरह की ईंट को बनाने के बारे में नहीं सोचा।

ईको फ्रेंडली ईंटों में बाहरी मौसम के लिए है अच्छी प्रतिरोधक क्षमता

नेहा के मुताबिक इन कम जल अवशोषित करने वाली ईंटों में बाहरी मौसम की स्थिति के लिए अच्छी प्रतिरोधक क्षमता होती है। उन्होंने बताया कि एक नियम के अनुसार पानी सोखने की क्षमता ईंट के भार के अनुसार 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। को फाई ब्रिक्स में ईंट वजन के हिसाब से 16 प्रतिशत पानी सोखती हैं। इन तैयार की गई ईंटों को धूप में तीन दिन तक सुखाया जाता है। फिर इनके वजन का परीक्षण किया जाता है। जिसके बाद इस ईंट का वजन 3.16 किलोग्राम होगा। नेहा ठाकुर ने अपने इन ईको फ्रेंडली ईंटों पर पेटेंट भी फाइल कर दिया है।

ये भी पढ़ें – ‘ब्रेस्ट मिल्क’ से ज्वेलरी बनाने बनाने वाली है यह महिला, 15 करोड़ कमा लेने की रखती हैं उम्मीद

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular