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मिट्टी का कूलर, मिट्टी का फ्रिज और मिट्टी के बर्तन, यहां मिलेगा आपको मिट्टी से निर्मित कई फायदे वाले देसी बर्तन

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पुराने जमाने में गाँव से लेकर शहरों तक मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता था, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ गरीब लोगों को रोजगार देने का भी काम करते थे। लेकिन बदलते वक्त के साथ सब कुछ इतना आधुनिक हो गया है कि लोगों ने मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया है, जिसकी वजह से सैकड़ों बीमारियों ने जन्म ले लिया है। हालांकि अब दोबारा से शहरों में कुल्हड़ में चाय पीने पिलाने का चलन शुरू हो गया है।

लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ मिट्टी से बने कुल्हड तैयार किए हैं बल्कि मिट्टी से कूलर, फ्रीज और रोजाना इस्तेमाल होने वाली कई चीजों का निर्माण किया है। इस बात पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन भारत के विभिन्न व्यापारियों ने इस काम को मुमकिन कर दिखाया है।

मिट्टी के बर्तन होते हैं सेहत के लिए लाभदायक

पुराने समय में जब मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता था, तो व्यक्ति को अपनी माटी से जुड़ने रहने का एहसास होता था। इसके साथ मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता था, इससे ढेरों बीमारियाँ दूर होती थी।

मिट्टी के बर्तन में दही जमाने से उसमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जबकि दही लंबे समय ताजा और स्वादिष्ट रहती है। इसके अलावा मिट्टी के बर्तनों में स्टील या पॉलीटेट्रफ्लुरोएथिलिन की कोटिंग नहीं होती है, जिसकी वजह से बीमारी का ख तरा कम हो जाता है।

मिट्टी से बने मटके में पानी पीने से आयु लंबी होती है

मिट्टी से बने मटके में पानी पीने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है और वह पानी कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने का काम करता है। इसलिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल फिर से बढ़ने लगा है, जिसकी वजह से व्यापारी वर्ग भी मिट्टी से विभिन्न तरह की चीजों निर्माण कर रहे हैं।

इन चीजों को आधुनिक युग में इस्तेमाल किया जा सकता है और इनके टूटने पर पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचता है। जबकि लोहे और प्लास्टिक से बनी चीजें पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है और सालों तक डिकम्पोज नहीं होती है, जबकि मिट्टी से बने प्रोडक्ट आसानी से मिट्टी में ही मिल जाते हैं।

Rajender Clay Handicraft

राजेन्द्र क्ले हैंडीक्राफ्ट के बर्तन (Rajender Clay Handicraft)

भारतीय बाजारों में मिट्टी के बर्तनों की वापसी का श्रेय राजेंद्र प्रसाद प्रजापति (Rajendra Prasad Prajapati) को दिया जाता है, जिन्होंने मिट्टी के बर्तन और विभिन्न प्रोडक्ट बनाने का सराहनीय कदम उठाया है। उन्होंने साल 1990 में मिट्टी के बर्तन बनाने की शुरुआत की थी, जिसके बाद उनके इस व्यापार को फैलने में कई सालों का समय लग गया।

राजेंद्र प्रसाद प्रजापति ने अपने मिट्टी के व्यापार को शुरुआत हरियाण में की थी, जहाँ उन्होंने भारत यात्रा केंद्र नाम से एक दुकान खोली थी। उस दुकान में राजेंद्र खाना बनाने और परोसने वाले मिट्टी के बर्तन बेचा करते थे, जिनकी कीमत भी बहुत कम थी। शुरुआत में इस काम में राजेंद्र का परिवार भी उनकी मदद किया करता था, क्योंकि मिट्टी के बर्तन तैयार करने में काफी मेहतन और समय लगता था। हालांकि राजेंद्र प्रसाद और उनके परिवार की मेहनत रंग लाई और बाज़ार में उनका व्यवसाय चल पड़ा।

आज राजेंद्र प्रसाद प्रजापति यूट्यूब चैनल और वेबसाइट के जरिए आम लोगों को मिट्टी के बर्तन बनाने और उन्हें इस्तेमाल करने की जानकारी देते है। इसके साथ ही वह ऑनलाइन माध्यम से अपने दुकान के प्रोडक्ट्स आम लोगों को बेचते हैं, जिससे उनकी सेल कई गुना बढ़ गई है।

Mansukhbhai Prajapati

मनसुखभाई प्रजापति की नई पहल

भले ही शहरी लोग स्टील और कांच के बर्तनों में खाना-खाना शान की बात समझते हैं, जिसका असर ग्रामीण इलाकों में भी देखने को मिलता है। लेकिन गुजरात के रहने वाले मनसुखभाई प्रजापति (Mansukhbhai Prajapati) इस बात से बिल्कुल भी ताल्लुक नहीं रखते हैं, क्योंकि वह आज भी मिट्टी से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं। मनसुखभाई के घर पर जो फ्रिज मौजूद है, वह मिट्टी से बना है लेकिन बिजली से चलता है। इसी तरह उनके घर में मिट्टी से तैयार कूलर भी है, जो ठंडक प्रदान करने के साथ-साथ सेहत के लिए भी लाभदायक है।

दरअसल मनसुखभाई का जन्म एक कुम्हार परिवार में हुआ था, इसलिए उन्होंने बचपन से ही मिट्टी का इस्तेमाल करके बर्तन बनाने की कला सीख ली थी। पहले उन्हें मिट्टी के बर्तन तैयार करने से काफी आमदनी होती थी, लेकिन बीतते वक्त के साथ मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल कम हो गया जिसकी वजह से उनकी कमाई पर असर पड़ने लगा।

ऐसे में मनसुखभाई प्रजापति ने मिट्टी से तैयार बर्तनों के साथ-साथ फ्रिज, कूलर, केतली, ग्लास, तवा, हांडी और जग जैसी मॉडन चीजों का निर्माण शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से एक बार फिर उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो गई। उनके मिट्टी के प्रोडक्ट लोगों को इतने पसंद आते हैं कि उन्हें रोजाना कई ऑर्डर मिलते हैं, अपने इस आइडिया के चलते गुजरात के कई छोटे कुम्हार संगठनों को व्यवसाय मिलता है। इस तरह मनसुखभाई ने अपना व्यापार बढ़ाने के साथ-साथ दूसरे कुम्हारों को भी रोजगार देने का काम किया है।

जिस्ता कुकवेयर का अद्भुत कुकर

मिट्टी के बर्तन बनाने और उन्हें घर-घर पहुँचाने का काम जिस्ता कुकवेयर कंपनी भी कर रही है, जो बेंगलुरु में स्थित है। यह कंपनी भारत की पुरानी परंपरा को बढ़ावा देने और मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने के मकसद से शुरू की गई है, जो लगभग 80 कारीगरों को रोजगार भी देती है। जिस्ता कुकवेयर को वरिश्ता संपत, आर्चीश माधवन और मीरा रामकृष्णन द्वारा शुरू किया गया है, जो मिट्टी के साथ-साथ लोहे और सोपस्टोन से बने प्रोडक्ट्स भी बेचते हैं। यह कंपनी पारंपरिक रूप से चावल पकाने के लिए मिट्टी से बना बहुत ही खूबसूरत पॉट सेल करती है।

इस पॉट में चारों तरफ छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिनकी मदद से पानी भाप बनकर हवा में उड़ जाता है। वहीं पॉट का मुंह बंद करने के लिए ढक्कन मौजूद है, इसका डिजाइन इतना यूनिक है ज्यादातर ग्राहक इसे खरीदना पसंद करते हैं। जिस्ता कुकवेयर द्वारा बाज़ार में सबसे ज्यादा यही चावल वाला यूनिक पॉट बेचा जाता है।

माटीसुंग की वाइन बोतल और ग्लास

दिल्ली में रहने वाले राज प्रजापति ने भी मिट्टी की ताकत को समय रहते पहचान लिया था, इसलिए उन्होंने माटीसुंग एंटरप्राइज की स्थापना की। इससे पहले राज प्रजापति के पिता जी दुलीचंद प्रजापति मिट्टी से तैयार बर्तनों का व्यापार किया करते थे, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। दुलीचंद प्रजापति ने 21 संगीत वाद्ययंत्र, 4 फिट लंबा वाइन ग्लास और 9 फीट लंबी वाइन बोलत का निर्माण मिट्टी से किया था, जिसकी वजह से उनके द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ने लगी।

अपने पिता जी राह पर ही आगे चलते हुए राज प्रजापति ने इस बिजनेस को जारी रखा और घर में रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजों को मिट्टी से बनाना सुरू कर दिया। माटीसुंग कुकर से लेकर इडली मेकर और दाल व चायपत्ती जैसी चीजें रखने के लिए मिट्टी के डिब्बे तैयार करती है।

क्ले हॉट पॉट के शानदार चूल्हे

अब तक आपने मिट्टी के बर्तन और विभिन्न प्रोडक्ट्स तैयार करने वाले व्यक्तियों और कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल की, लेकिन भारत में एक ऐसी कंपनी भी है जो ग्राहकों को मिट्टी से तैयार चूल्हे बेचती है। इस कंपनी का नाम क्ले हॉट पॉट है, जो ऑफलाइन और ऑनलाइन तरीके से मिट्टी के चूल्हे बेचने का काम करती है।

इसके अलावा यह कंपनी मिट्टी से तैयार बर्तन भी सेल करती है, जिसमें बिरयानी हांडी से लेकर टिफिन, ग्लास, कटोरी और प्लेट आदि शामिल हैं। इन कीचन प्रोडक्ट्स को कोई भी व्यक्ति घर बैठे ऑनलाइन ऑर्डर कर सकता है, जिनके दाम भी बहुत कम होते हैं।

मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने का तरीका

किसी भी मिट्टी के बर्तन या प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने से पहले उसे 1 दिन पानी में डूबकर रखना बेहद जरूरी है, ताकि मिट्टी अच्छी तरह से पानी पी ले। फिर उस बर्तन को धूप में सूखकर कीचन में इस्तेमाल करे, ऐसा करने से गर्म आंच की वजह से बर्तन टूटते या चटकते नहीं है। गैस की आंच हमेशा मध्यम या डीम रखनी चाहिए, क्योंकि तेज आंच में बर्तन फूट सकता है। इसके साथ ही हर इस्तेमाल से पहले और बाद मिट्टी के बर्तन को कुछ घंटे पानी में डूबाकर जरूर रखना चाहिए, जिससे उसकी सफाई अच्छी तरह होती है और बर्तन लंबे समय तक चलते हैं।

मिट्टी के बर्तन को कभी भी नॉर्मल डिशवॉश से साफ न करें, बल्कि इन्हें धोने के लिए राख, मिट्टी या फिर बेकिंग पाउडर का इस्तेमाल सबसे बेहतरीन साबित होता है। इसके अलावा आप नारियल की खाल से भी मिट्टी के बर्तनों की सफाई कर सकते हैं।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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