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Lata Mangeshkar Passed Away: संगीत स्वर कोकिला लता मंगेशकर का हुआ निधन, 92 वर्ष की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

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Lata Mangeshkar Passed Away : संगीत स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर के निधन की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। लता मंगेशकर का यू जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। बता दें कि आज सुबह 8 बज कर 12 मिनट पर स्वर की देवी लता मंगेशकर आखिरी सांस ली। लता मंगेशकर ने 92 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। Lata Mangeshkar Death News

इस साल की शुरुआत में ही लता मंगेशकर को”विड से संक्र’मित हुई थीं और उन्हें मुम्बई के कैंडी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था, जहाँ लगातार इनका इलाज चल रहा था। हालांकि इसके बावजूद इनकी हालत में कोई सुधार नहीं था। कई हफ्तों से यह आईसीयू में थीं। आज सुबह 8 बज कर 12 मिनट पर कैंडी हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रतीत समदानी ने लता मंगेशकर की मौत की पुष्टि करते हुए इनके निधन की खबर दी। डॉक्टर्स का कहना है कि लता मंगेश्कर का इलाज काफी समय से चल रहा था लेकिन इनकी हालत में सुधार नहीं आ रहा था, इनके शरीर के कई अंग भी पूरी तरह खराब हो चुके थे।

ट्विटर पर की गई निधन की पुष्टि

बता दें कि सरकार की तरह से भी सबसे पहले केबिनेट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने ट्वीट के माध्यम से लता मंगेशकर के निधन की पुष्टि करते हुए लिख की, “देश की शान एवं संगीत के दुनिया की शिरमोर स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेश्कर जी का निधन दुखद है, उनका जान देश की लिए ऐसी क्षति है जिसे पूरा नहीं किया जा सकता। वह संगीत साधकों के लिए सदा प्रेरणा स्रोत थीं, पुण्यात्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि

संगीत को दी नई परिभाषा

दिवंगत लता मंगेशकर एक महान पार्श्वगायिका थीं और इन्होंने ही भारतीय फिल्म जगत के संगीत को एक नया रूप और परिभाषा प्रदान की थी। लता मंगेशकर जी को स्वर साम्राज्ञी एवं भारतीय स्वर कोकिला के नामों से जाना जाता है। लता मंगेशकर का फ़िल्म संगीत करियर 70 वर्ष से भी अधिक लम्बा रहा। इस दौरान इन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में गायन किया। अपने करियर के दौरान लता मंगेशकर जी ने 30 हजार से भी ज्यादा गाने गाए थे।

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इंदौर में जन्मी थीं स्वर कोकिला

स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी (Lata Mangeshkar) का जन्म 28 सितंबर सन 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था जो कि एक महान गायक थे। इनके पिता एक थिएटर कलाकार भी थे इन्होंने मराठी भाषा में बहुत से संगीत में नाटकों को निर्मित किया था। लता मंगेशकर के पिता की पांच संताने थी जिनमें की लता मंगेशकर जी सबसे बड़ी थी।

अपने पिता से प्रेरणा लेकर के लता मंगेशकर ने संगीत साधना की दुनिया में कदम रखा था और इनका अनुसरण करते हुए उनके छोटे भाई बहनों ने भी संगीत को अपनाया और आगे चलकर के भारत के प्रसिद्ध गायक एवं गायिका के रूप में पहचाने गए।

संघर्षों से भरा रहा जीवन

बता दें कि लता मंगेशकर का परिवार शास्त्रीय संगीत की जड़ों से जुड़ा था। इसीलिए इन के यहाँ फिल्मी संगीत को नापसंद किया जाता था लता मंगेशकर ने कभी भी औपचारिक शिक्षा दीक्षा प्राप्त नहीं की, एक नौकरानी से इन्होंने मराठी अक्षरों का ज्ञान प्राप्त हुआ और स्थानीय पुरोहित ने इन्हें संस्कृत की शिक्षा प्रदान की थी। इनके घर आने जाने वाले रिश्तेदारों एवं अध्यापकों ने इन्हें अन्य विषय शिक्षा प्रदान की थी।

लता मंगेशकर का परिवार काफी कठिन समय से भी गुजर चुका था। एक समय ऐसा भी था जब लता मंगेशकर के पिता के पैसे डूब गए थे और इन्हें अपनी फिल्म एवं थिएटर कंपनी को ताला लगाना पड़ा था। इसके बाद इनका पूरा परिवार पुणे आ करके बस गया था। कर्ज चुकाने के लिए इनके पुश्तैनी घर को भी नीलाम कर दिया गया था। बता दें कि अपने पिता के निधन के बाद लता मंगेशकर अपने परिवार के साथ मुंबई आ गई थी।

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परिवार चलाने के लिए किया अभिनय

यह बात सन 1940 की है उस वक्त फिल्मों में गानों की गुंजाइश बहुत अधिक नहीं हुआ करती थी। यही वजह है कि लता मंगेशकर को अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए अभिनय क्षेत्र में कदम रखना पड़ा था। लता मंगेशकर ने 8 मराठी एवं कुछ हिन्दी फिल्मों में अभिनय किया था। सन 1943 में आई मराठी पर होने कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाए भी थी यह फिल्मों में उनके पहले गीत के रूप में जाना जाता। कुछ समय तक अभिनय करते-करते लता मंगेशकर को हर माह के ₹200 मिलने लगे थे।

लता मंगेशकर बताती थी कि उन्हें अभिनय बिल्कुल भी पसंद नहीं था। मेकअप, लाइट और लोगों के निर्देशन देने से वह असहज महसूस करती थी। एक बार फ़िल्म डायरेक्टर ने उन्हें अपनी आइब्रोज कटवाने के लिए कहा था जिसके बाद लता मंगेशकर को काफी गहरा सदमा लगा था। लेकिन उन्हें काम करने के लिए निर्देशक की बात माननी पड़ी थी।

1949 में गाया था पहला गाना

स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपना हिन्दी गाना सन 1940 में रिलीज हुई फिल्म महल के लिए गाया था। इस फिल्म से ही इनकी गायकी को काफी सराहना प्राप्त हुई थी। संगीतकारों ने इनके गायन पर विशेष ध्यान दिया था और इसके बाद इन्हें गाने के अन्य अवसर प्राप्त होने लगे। बस यही से लता मंगेशकर की प्रसिद्धि चारों ओर फैलने लगी और उन्होंने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में हजारों गानों को अपनी आवाज दी। सन 1962 में हुए चीन के साथ भारत युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में लता मंगेशकर “ऐ मेरे वतन के लोगों” नामक गीत गाया था। इस गीत को सुनकर स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की भी आंखें नम हो गई थी।

लता मंगेशकर फिल्म जगत के उन सभी गायकों के साथ गाना गाया जो उस दौर के सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख गायक थे। लता मंगेशकर ने अपने दौर में पार्श्व गायकी में पुरुषों को चुनौती दी थी। लता मंगेशकर ने उस दौर के प्रमुख गायकों से अधिक रॉयल्टी एवं मेहनताने की मांग की थी और इन्हें इनकी प्रतिभा के कारण यह सम्मान प्राप्त हुआ। लता मंगेशकर हमेशा यह कहती थी कि, “वह जो भी है उनके परिश्रम के कारण हैं उन्होंने अपने हक की लड़ाई लड़ना सीखा है वह बताती थी कि साहसी है और उन्हें किसी से भी डर नहीं लगता है।”

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आवाज ही पहचान है

लता मंगेशकर को फिल्में देखना काफी पसंद था इसके अतिरिक्त वह कारों की भी शौकीन थीं। इनके कार कलेक्शन में कई महंगी करें मजूद हैं। लता मंगेशकर को कुत्ते पालने का भी शौक था इन्होंने अपने घर में 9 कुत्ते पाले हुए थे। इसके साथ ही वह क्रिकेट में भी बहुत रुचि रखती थीं। अक्सर वह मैच के दौरान रिकॉर्डिग से ब्रेक लेकर के मैच देखती थीं।

लता मंगेशकर का कहना था कि, “अपनी खुशी दुनिया के साथ बांटना चाहिए और अपने दुखों को अकेले सहन करना चाहिए।” लता मंगेशकर ने हजारों सदा बहार गाने गाए हैं। इनके द्वारा गाए गए गाने लाखों करोड़ों भारतीयों के जीवन का संगीत बने हैं। आज भले ही स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की आवाज शांत हो गई है। लेकिन यह सदियों अपने गाये नग्मों द्वारा लोगों के दिलों में अमर रहेंगी।

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News Desk
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