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बच्चों पर चिल्लाने या गुस्सा करने से खुद को रोंके, फॉलो करें ये आसान टिप्स

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How to stop yelling at children : इंसानी जीवन की शुरुआत में बचपन के पड़ाव का अहम योगदान होता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चा बड़े होते हुए काफी कुछ नया सीखता है। आमतौर पर बचपन में हर बच्चे का स्वभाव चंचल और नटखट होता है, जिसकी वजह से कई शैतानियां करता है और उससे सीख भी लेता है।

लेकिन अक्सर माता-पिता बच्चों की इन शरारतों से काफी तंग हो जाते हैं और उन्हें गुस्से में डांटने लगते हैं, जबकि कई बार उन पर तेज आवाज में चिल्लाते हैं। इससे बच्चा सहम जाता है, जबकि उसके मन में डर और नकारात्मकता की भावना पैदा होने लगती है। ऐसे में अगर आपका बच्चा शैतानी करे, तो उसके ऊपर चिल्लाने के बजाय इन आसान टिप्स को फ्लो करें।

गहरी सांस लेकर खुद को करें शांत

अगर आपको बच्चे की शरारत या किसी बात पर गुस्सा आ जाता है, तो उसके ऊपर एकदम से चिल्लाने या गुस्सा करने के बजाय खुद को शांत करने की कोशिश करें। इसके लिए आपको 3 से 4 बार गहरी सांस लेनी होगी, ताकि ऑक्सीजन ज्यादा मात्रा में आपके दिमाग तक पहुंच सके।

ऐसा करने से दिमाग को शांति मिलती है और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे गुस्सा आसानी से शांत हो जाता है। इस तरह आप बच्चे पर गुस्सा करने या चिल्लाने से खुद को रोक सकते हैं, जबकि उसे प्यार से अपनी बात और नजरिया समझा सकते हैं। ये भी पढ़ें – बच्चों के दिमाग पर गहरा असर छोड़ती हैं माता-पिता की ये बातें, भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां

बच्चों से प्यार से करें बात

अगर आप अपने बच्चे को कोई बात समझाना चाहते हैं, तो जरूरी नहीं कि आप उसे गुस्से में बात करें। इसके लिए आपको बच्चे से मधुर और सॉफ्ट टोन में बात करनी चाहिए, जिससे बच्चा आपके साथ जुड़ाव महसूस करेगा और आपकी बात को आसानी से समझ जाएगा।

आमतौर पर माता-पिता बच्चे को रोकने या कोई बात समझने के लिए तेज आवाज में बात करते हैं या फिर उसके ऊपर चिल्लाने लगते हैं, ऐसा करने से बच्चा शांत जरूर हो जाता है लेकिन वह माता-पिता की बात को समझ नहीं पाता है और दोबारा फिर से वही गलती कर देता है।

वजह जानने की करें कोशिश

कई बार घर में खेलते समय बच्चे चीजें तोड़ देते हैं और अपने गलती छिपाने के लिए झूठ बोलने लगते हैं, जिसकी वजह से माता-पिता को उनके ऊपर ज्यादा गुस्सा आता है। लेकिन उस स्थिति में अगर आप बच्चे पर चिल्लाने लगेंगे, तो वह गलती के पीछे की असल वजह आपको कभी नहीं बताएगा।

ऐसे में अगर बच्चे से कोई गलती हो जाती है या फिर वह एक ही गलती को बार बार दोहराता है, तो उस स्थिति में माता-पिता को यह कोशिश करनी चाहिए कि वह अपने बच्चे से बात करके उस गलती के पीछे की असल वजह जान सके। ऐसा करने से आप समस्या को आसानी से समझ पाएंगे, जबकि बच्चे और पेरेंट्स के बीच अच्छा तालमेल रहेगा।

बच्चों के लिए सेट करें नियम

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कम शरारत करे या फिर बढ़ती उम्र के साथ उसे अपनी गलतियों का एहसास हो, तो इसके लिए पेरेंट्स को बच्चों के लिए कुछ नियम कानून बनाने चाहिए। ऐसा नहीं है कि इन नियमों के चलते आप अपने बच्चे के साथ सख्ती से पेश आएंगे, लेकिन उनकी वजह से बच्चे को पता होगा कि अगर उसने गलती कि उसे इसकी सजा मिलेगी।

मान लिजिए आपका बच्चा एक ही गलती बार बार दोहरा रहा है, तो इसके लिए आप उसे घर से जुड़ा कोई काम सजा के रूप में दे सकते हैं या फिर उसे एक्स्ट्रा लेसन याद करने को कह सकते हैं। ऐसे छोटे छोटे रूल्स बनाकर आप बच्चे को गलतियां करने से रोक सकते हैं, क्योंकि उसे पता होगा कि अगर उसने नियम तोड़े तो उसे इसकी सजा मिलेगी।

इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर आप बढ़ती उम्र में बच्चों की शरारत और गलतियों को हैंडल कर सकते हैं, जिसकी वजह से उनकी परवरिश अच्छी होगी। लेकिन अगर आप बच्चों के ऊपर चिल्लाने और गुस्सा करने की कोशिश करेंगे, तो इससे उसके मन में आपके लिए हीन भावना उत्पन्न हो सकती है। ये भी पढ़ें – बच्चों को बचपन से ही जरूर सिखाएं स्वस्थ जीवनशैली की यह 5 आदतें, ताकि बच्चे रहे बीमारियों से दूर

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News Desk
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तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

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