गांव में रहने वाले किसान खेती करके अलग-अलग प्रकार की फसल और सब्जियाँ तैयार करते हैं, ताकि शहरों में रहने वाले लोगों को साल भर भोजन की कमी का सामना न करना पड़े। खेती के जरिए किसानों की आमदनी कमाने और पेट भरने के लिए भोजन जुटाने में आसानी हो जाती है।
हालांकि पिछले कुछ सालों से शहरों में भी कीचन गार्डिनिंग काफी लोकप्रिय होती जा रही है, जिसकी वजह से शहरों में रहने वाले लोग भी गमलों में फल और सब्जियाँ उगाने लगे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने सालों की रिसर्च के बाद चमत्कारी पौधे तैयार करने में सफलता हासिल की है, जिसमें कई प्रकार की सब्जियाँ एक साथ उगाई जा सकती हैं। आखिर क्या है यह पूरा मामला और एक ही पौधे में अलग-अलग सब्जियाँ कैसे उगाई जाएगी, आइए विस्तार से जानते हैं-
वैज्ञानिकों ने खोजा खेती का अनोखा तरीका (Grafting Technique)
वैज्ञानिक हमेशा किसी न किसी तरह की खोज में लगे रहते हैं, जिससे वह इंसानी जीवन को और भी आसान बना सके। ऐसे में वाराणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) के वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए एक ही पौधे से दो अलग-अलग सब्जियाँ उगाने का अनोखा तरीका खोज निकाला है।
इस चमत्कारी तकनीक से न सिर्फ किसान एक पौधे पर दो सब्जियाँ उगाकर खेती कर सकते हैं, बल्कि शहरों में रहने वाले लोग भी अपने गार्डन या गमले में इस पौधे को लाकर दो सब्जियों का स्वाद एक साथ चख सकते हैं।
ग्राफ्टिंग क्या है (What is Grafting)
दरअसल ग्राफ्टिंग तकनीक में दो सब्जियों के अलग-अलग पौधों को एक साथ जोड़ने का काम किया जाता है, जो बहुत ही बारीक और मेहनत वाला काम होता है। इस तकनीक में दोनों पौधों के तनों की मोटाई के बराबर होना बेहद जरूरी है, वरना जुड़वा पौधों को एक साथ तैयार कर पाना मुश्किल हो जाता है।
इस तरह दो पौधों को आपस में जोड़ने के लगभग 20 दिन जुड़वा पौधा तैयार हो जाता है, जिसके बाद उसे खेत पर लगा दिया जाता है। ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार पौधे को खेत में लगाने के लगभग 2 महीने बाद उसमें सब्जियाँ आनी शुरू हो जाती हैं।
एक ही पौधे पर उगेंगे आलू और टमाटर
आज तक आपने आलू और टमाटर को खेत पर अलग-अलग पौधे पर लगे हुए देखा होगा, लेकिन ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार पोमैटो पौधा के जरिए एक साथ दोनों सब्जियों की खेती की जा सकती है। इसके लिए टमाटर और आलू के पौधों के एक साथ मिलाया जाता है।
जब आलू का पौधा मिट्टी से 6 इंच लंबा हो जाता है तो उसके तने से जोड़कर टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग की जाती है। ऐसा करने के 20 दिन बाद पोमैटो पौधा तैयार हो जाता है, जिसमें 2 महीने बाद ऊपरी हिस्से में टमाटर उग आते हैं। जबकि मिट्टी के अंदर पनप रहे पौधे में आलू की फसल तैयार हो जाती है।
पोमैटो के एक पौधे की जरिए 2 किलोग्राम टमाटर और 600 ग्राम आलू उगाए जा सकते हैं, ऐसे में अगर आप एक साथ 4 से 5 पोमैटो पौधे लगाते हैं तो आपके कीचन गार्डन में ही अच्छी सब्जी तैयार हो जाएगी।
टमाटर और बैंगन की खेती एक ही पौधे में
इसी ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए टमाटर और बैंगन की खेती भी एक साथ की जा सकती है, इसके लिए टमाटर के पौधे को 22 दिन का होने पर और बैंगन के पौधे को 25 दिन का होने पर तने के जरिए आपस में ग्राफ्टिंग के जरिए जोड़ दिया जाता है।
इस तकनीक से तैयार पौधे को ब्रिमेटो कहा जाता है, जिसके जरिए 1 पौधे पर 2 किलोग्राम टमाटर और ढाई किलोग्राम बैंगन उगाए जा सकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार की गई ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए टमाटर के साथ मिर्ची और लौकी की खेती की जा सकती है।
आपको बता दें कि ग्राफ्टिंग के जरिए किसान दो अलग-अलग सब्जियों के पौधों को आपस में जोड़ सकते हैं, जैसे तरोई के साथ खीरा और करेला उगाया जा सकता है। यानी ग्राफ्टिंग खेती के जरिए दो पौधों को एक में तब्दील किया जाता है, इसके बाद उसमें दो अलग-अलग सब्जियों की पैदावार होती हैं।