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इलाहाबाद की होनहार छात्रा खुशी, पिता नहीं हैं और माँ रहती हैं बीमार, ख़ुद चाय बेचकर चलाती है पूरे परिवार का खर्च

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अगर पढ़ाई से भागना हो तो सौ बहाने मिलेंगे लेकिन जो सच में पढ़ने की लगन और जज़्बा मन में लिए रखते हैं उनके रास्ते में सौ परेशानियाँ आए तो भी उसे पार कर जाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक होनहार लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपने पिताजी की मौत के बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए चाय की स्टॉल खोल ली। इलाहाबाद की इस लड़की ख़ुशी ने पैसों की दिक्कत आने पर किसी के आगे हाथ नहीं फैलाये बल्कि आत्म सम्मान के साथ जीवन जीना स्वीकार किया। ख़ुशी ने चाय के स्टॉल से ही अपने सारे परिवार का और अपनी पढ़ाई का ख़र्च भी उठाया।

इलाहाबाद की मेधावी छात्रा हैं खुशी

खुशी इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की मेधावी छात्रा हैं। अपने कॉलेज में यह बहुत होनहार स्टूडेंट्स की कैटेगरी में आती है। ख़ुशी पढ़ने में बहुत अच्छी है और पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती हैं लेकिन इसी बीच इनके जीवन में अचानक ही बहुत कठिन समय आया, जिससे इनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था।

पिताजी की मृत्यु हो गई और माँ बीमार पड़ गई

कुछ दिनों पहले ही ख़ुशी के पिताजी की अकस्मात मृत्यु हो गई थी। इनकी माताजी भी अस्वस्थ रहती हैं अतः वे कुछ काम नहीं कर पातीं हैं। ऐसे में परिवार को संभालने की जिम्मेदारी कौन उठाता। इन हालातों में भी ख़ुशी ने किसी से पैसों की मदद मांगने की बजाय स्वाभिमान के साथ आत्मनिर्भर होकर ज़िन्दगी गुजरना बेहतर समझा।

पढ़ाई के लिए खोली “स्टूडेंट टी पॉइंट” नाम से चाय की स्टॉल

खुशी ने अपने इस मुश्किल समय में हार नहीं मानी। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने चाय की एक स्टॉल खोल ली, जिससे उनकी पढ़ाई भी चल पाए और घर ख़र्च भी। ख़ुशी अपनी यह दुकान इलाहाबाद में सलोरी टी पॉइंट स्थान पर चलाती हैं और इन्होंने अपनी इस टी स्टॉल का नाम “स्टूडेंट टी पॉइंट” रखा है। रोजाना ख़ुशी अपनी दिनचर्या के बाद शाम के समय 3-4 घण्टे चाय बेचा करती हैं।

इस वीडियो में खुशी की संघर्ष और मेहनत को जरूर देखें

IAS और PCS सेवा में जाना चाहती हैं

हर छात्र की तरह ख़ुशी के भी कुछ सपने हैं। वह आगे जाकर अपने जीवन में पढ़ लिखकर IAS और PCS की सर्विसेज में जाना चाहती हैं। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ख़ुशी अभी से पढ़ाई में बहुत ध्यान देती हैं। ख़ुशी के कॉलेज में जो छात्र छात्राएँ इनके दोस्त हैं, वे भी इनकी मदद करते हैं। वे ख़ुशी का हौंसला बढ़ाते रहते हैं, जिससे उन्हें अकेलापन महसूस ना हो।

खुशी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए आत्मनिर्भर बनने का जो निश्चय किया है, वह काबिलेतारीफ है और सभी छात्रों को प्रेरणा देता है कि अगर वे जीवन में कुछ बनना चाहते हैं तो उन्हें बहाने छोड़ पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए। दोस्तों, आप भी ख़ुशी के “स्टूडेंट टी पॉइंट” पर जाइये और उनकी चाय का स्वाद या कहें कि ‘मेहनत का स्वाद’ ज़रूर चखिए।

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News Desk
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