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कोरोना की वजह से हो गई थी बेटे की मौत, परिवार ने 1.5 साल तक घर में रखा था शव, रोज़ छिड़कते थे गंगाजल

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वैश्विक स्तर पर फैले कोरोना वायरस ने करोड़ो लोगों की जान ले ली, जिसकी वजह से कई बच्चे अनाथ हो गए तो वहीं बुजुर्ग माता-पिता को अपने जवान बच्चों की लाश देखनी पड़ी। इस महामारी के दर्द को वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने अपनों को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया।

लेकिन हालात चाहे कैसे भी हों मृत्यु की सच्चाई को स्वीकार करना जरूरी होता है, ताकि मृतक का अंतिम संस्कार किया जा सके। लेकिन उत्तर प्रदेश से एक बहुत ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक परिवार ने कोरोना काल के दौरान मर चुके एक सदस्य के शव को 18 महीनों तक घर में रखा था।

Kanpur Family Living With Dead Body

18 महीने तक घर में रखा मृतक का शव

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में आयकर अधिकारी विमलेश सोनकर अपने परिवार के साथ रहते थे, लेकिन 22 अप्रैल 2021 को कोरोना की वजह से विमलेश की मौत हो गई थी। लेकिन विमलेश के परिवार वाले उनकी मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पाए, जिसकी वजह से उन्होंने मृतक के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया और उसे घर में रख लिया था। इसे भी पढ़ें – रिटायर्ड ASI ने घर में बनवाया माता-पिता का मंदिर, लोग कहते हैं कलयुग का श्रवण कुमार

विमलेश गुजरात के अहमदाबाद शहर में आयकर विभाग में काम करते थे, जबकि उनकी पत्नी मिताली कानपुर के एक कॉपरेटिव बैंक में नौकरी करती थी। कोरोना काल के दौरान विमलेश कानपुर में अपने घर आए थे और इसी बीच वायरस की चपेट में आने की वजह से उनकी अकास्मिक मृत्यु हो गई थी।

अस्पताल की तरफ से विमलेश का डेथ सार्टिफिकेट भी जारी किया गया था, लेकिन विमलेश के परिवार ने उनका अंतिम संस्कार करने के बजाय उनकी डेड बॉडी को घर ले गए। परिवार वालों को उम्मीद थी कि विमलेश एक न एक दिन जिंदा हो जाएंगे और इस तरह 18 महीनों का लंबा वक्त गुजर गया।

परिवार के लोग विमलेश की डेड बॉडी पर रोजाना गंगा जल छिड़कते थे, जिसकी वजह से शव से तेज गंध नहीं आती थी। इतना ही नहीं जब आस पड़ोस के लोग विमलेश के बारे में पूछते थे, तो परिवार के लोगों का कहना था कि वह कोमा में हैं और उनका इलाज चल रहा है।

आयकर विभाग ने जब्त किया था शव

यहाँ एक तरफ विमलेश के परिवार वाले उनके शव को घर में रखे हुए थे, वहीं दूसरी तरफ अहमदाबाद में विमलेश पिछले डेढ़ साल से छुट्टी पर थे। ऐसे में आयकर विभाग ने विमलेश की तलाश शुरू कर दी, क्योंकि वह बिना किसी नोटिस के इतनी लंबी छुट्टी पर गए थे और अपने कार्य के प्रति बिल्कुल भी जिम्मेदारी नहीं दिखा रहे थे।

विमलेश के परिवार से जब भी उनके बारे में पूछा जाता था, वह कहते थे कि विमलेश की तबीयत खराब है। ऐसे में अहमदाबाद की टीम ने कानपुर के आयकर विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया और विमलेश का पता लगाने के लिया कहा, जिसके बाद आयकर विभाग की एक टीम विमलेश के घर पहुँची। लेकिन जब टीम विमलेश के घर पहुँची, तो सच्चाई जानकर उनके होश उड़ गए।

घर पर विमलेश की डेड बॉडी मौजूद थी, जबकि परिवार के लोग उनकी डेड बॉडी को बाहर ले जाने नहीं दे रहे थे। ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारियों और पुलिस के समझाने के बाद परिवार वालों ने विमलेश के शव को घर से बाहर ले जाने की अनुमति दी, जिसके बाद उनके शव को लाला लाजपत राय अस्पताल ले जाया गया।

मृत्यु के बाद चल रही थी विमलेश की धकड़न?

विमलेश के शव की जांच करने के बाद पता चला कि उनकी मृत्यु 18 महीने पहले ही हो चुकी है, जबकि उनके शरीर का मांस बुरी तरह से सूख कर हड्डियों से ही चिपक गया था। वहीं विमलेश के पिता राम अवतार का कहना था कि उनके बेटे की धड़कन चल रही थी, इसलिए उन्होंने उसे घर पर रखा था।

इतना ही नहीं विमलेश के भाई दिनेश ने भी पुलिस को यही बयान दिया कि भाई की दिल की धड़कन चल रही थी, जिसकी वजह से उनकी शव यात्रा को रोक दिया गया था। विमलेश के शरीर से बदबू भी नहीं आ रही थी, जिसकी वजह से उन्हें लगा कि वह कोमा में थे। हालांकि विमलेश की मृत्यु का आधिकारिक पुष्टि होने के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसे भी पढ़ें – मुस्लिम दंपति ने तिरुपति मंदिर में दान किए 1.02 करोड़ रुपए, भगवान वेंकेटश्वर के प्रति रखते हैं विशेष आस्था

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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