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Jawahar Model: खेतों में नहीं बल्कि बोरियों में उगाएं फसलें, एक साथ उगाई जा सकती हैं 8 अलग-अलग फसलें

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Jawahar Model Farming – भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ विभिन्न प्रकार की फसलों और फलों की खेती की जाती है। ऐसे में खेती करने के लिए किसानों के पास कई एकड़ जमीन का होना बेहद जरूरी है, वहीं कुछ किसान किराए पर खेत लेकर उसमें फसल उगाने का काम करते हैं।

लेकिन आज हम आपको एक ऐसी तकनीक (Jawahar Model Farming) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल करके बिना जमीन और खेतों के भी फसल हुई जा सकती है। इस अनोखी तकनीक को जवाहर मॉडल (Jawahar Model) नाम दिया गया है, जो किसानी के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम कर रही है।

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क्या है जवाहर मॉडल? (Jawahar Model Farming)

इस नई तकनीक की खेती को विकसित करने का श्रेय मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को जाता है, जिन्होंने बोरियों में विभिन्न फसलें उगाने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जवाहर मॉडल के जरिए छोटे किसानों को खेती करने में मदद मिलेगी, जबकि इस तकनीक से एक समय पर 8 अलग-अलग फसलें उगाई जा सकती हैं।

जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई तकनीक से हल्दी जैसे फसलों को उगाने में काफी मदद मिलेगी, जिसे छांव में तैयार किया जाता है। ऐसे में जवाहर मॉडल के जरिए एक बोरी में लगभग 50 ग्राम हल्दी के बीज लगाए जाते हैं, जिससे 6 महीने के अंदर 2 से 3 किलोग्राम हल्दी की फसल तैयार हो जाती है।

जवाहर मॉडल के जरिए हल्दी के साथ-साथ अरहर दाल की पैदावार को भी बढ़ाया जा सकता है, जिसके एक पौधे से 2 से 2.5 किलोग्राम तक अरहर प्राप्त होती है। ऐसे में जिन महिला किसानों के पास जमीन और खेत ही कमी है, वह बोरियों में फसल उगाकर मुनाफा कमा सकती हैं।

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70 प्रतिशत किसानों को होगा फायदा

जवाहर मॉडल (Jawahar Model) के अस्तित्व में आने की वजह से खेती और किसानी के कार्य से जुड़े किसानों को बहुत ज्यादा फायदा हो सकता है, क्योंकि प्रदेश में ऐसे बहुत से किसान हैं जिनके पास सिर्फ 1 से 2 एकड़ जमीन होती है। ऐसे में इतनी कम जमीन में विभिन्न फसलें उगाकर मुनाफा कमाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।

लेकिन जवाहर मॉडल (Jawahar Model Farming) के जरिए एक से दो एकड़ की जमीन में कई बोरियाँ रखी जा सकती हैं, जिन्हें मिट्टी और खाद के मिश्रण से भरा जाएगा। इसके बाद उन बोरियों में एक ही समय पर अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं, जिससे किसानों की उपज 20 गुना तक बढ़ जाएगी।

वैज्ञानिकों की मानें तो जवाहर मॉडल के जरिए मध्य प्रदेश के 70 फीसदी किसान लाभ उठा सकते हैं, जिनके पास जमीन के छोटे टुकड़े मौजूद हैं। ऐसे में उन किसानों के पास विकल्प होगा कि वह अपने खेती में बोरियों वाली फसल उगाए, जिससे फसल की उपज 20 से 30 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।

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पैसों के साथ-साथ समय की होगी बचत

जवाहर मॉडल से खेती (Jawahar Model Kheti) करने पर किसानों को फायदा तो होगी ही, इसके साथ ही उनके टाइम और पैसों की भी बचत होगी। दरअसल इस तकनीक से बोरियों में फसल उगाने के बाद खेतों की जुताई करने का खर्च और समय बच जाएगा, जबकि फसलों को कीटों से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कीटनाशक दवाईयों की खपत भी कम हो जाएगी।

ऐसे में किसानों को टैक्टर, हल या फिर कीटनाशक पर बड़ी रकम खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जबकि बोरियों में पैदा हो रही फसल की देखभाल करना भी आसान होगा। जवाहर मॉडल तकनीक से खेती करने के लिए उपजाऊ जमीन और सिंचाई के लिए बहुत ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती है।

जिसकी वजह से छोटे किसान अपने घर के आसपास, आंगन, छत या फिर बंजर जमीन पर भी बोरियों में खेती कर सकते हैं, जबकि इस तकनीक से तैयार होने वाली फसलों की सिंचाई के लिए बहुत ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती है। ऐसे में जिन किसानों के पास 1 एकड़ से कम जमीन है, उनके लिए जवाहर मॉडल तकनीक बहुत ही फायदेमंद साबित होगी।

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जरूरत के हिसाब से काट सकते हैं फसल

जमीन के एक बड़े हिस्से में खेती करने वाले किसानों को पूरी फसल एक साथ काटनी पड़ती है, क्योंकि फसल को पककर तैयार होने में समय लगता है। लेकिन जवाहर मॉडल तकनीक से उगाई जाने वाली फसल को किसान अपनी जरूरत के हिसाब से काट सकते हैं, क्योंकि इस फसल को बोरी में छोटे स्तर पर उगाया और तैयार किया जाता है।

ऐसे में किसान अपने फसल को जरूरत के हिसाब से कभी भी काट सकते हैं, जबकि उसकी जगह तुरंत नई फसल को उगाया जा सकता है। इसके लिए न तो खेत साफ करने की जरूरत पड़ेगी और न ही उसमें बार-बार खाद व कीटनाशक आदि का छिड़काव करना होगा।

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फूलों से लेकर दलहन की खेती

ऐसे में मध्य प्रदेश के छोटे और महिला किसान जवाहर तकनीक के जरिए जमीन के छोटे टुकड़े पर ही दाल, तिल और हल्दी जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं, जबकि कुछ किसान बोरियों में धनिया, मिर्च और पुदीना जैसी सब्जियाँ और फूल भी उगा रहे हैं। इससे उनकी आमदनी पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ गई है, जबकि खेती के घंटों में कटौती होने लगी है।

इस तकनीक (Jawahar Model Farming) से फसल उगाने के लिए बोरियों को एक उचित दूरी पर लाइन से रखना होता है, जिसके बाद उनके अंदर सीमित मात्रा में बीज डालने होते हैं। ऐसा करने से कम बीजों के छिड़काव से ही अच्छे पौधे पैदा होने लगते हैं, जिन्हें फलने फूलने के लिए बोरी के बाहर पार्यप्त जगह मिल जाती है। हालांकि जवाहर मॉडल तकनीक से गेहूँ और धान जैसे फसल नहीं उगाई जा सकती है, लेकिन यह सब्जी और फूल उगाने वाले किसानों के लिए अच्छी तकनीक साबित हो रही है।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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