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छोटे से गाँव की बेटी ने किया नाम रोशन, जल्दी शादी करके नहीं करनी थी ज़िन्दगी बर्बाद, बनी IPS ऑफिसर

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हरियाणा के इस छोटे से गाँव सांपला के लोग विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि उनके गाँव की एक बेटी मोनिका अब कोई आम लड़की नहीं रही, बल्कि अफसर बिटिया बन गई है और वह भी IPS अफसर। गाँव वालों को तो इस गाँव की बेटी पर गर्व था ही, भारद्वाज परिवार सीना भी गर्व से फूल गया था। ना सिर्फ़ इसलिए कि पहली बार गाँव की किसी बेटी ने इतनी बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है बल्कि, एक ख़ास वज़ह यह भी थी कि मोनिका भारद्वाज (IPS Monika Bhardwaj) के पिता देवीदत्त भारद्वाज दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर कार्यरत थे।

एक सब इंस्पेक्टर पिता की बेटी आईपीएस ऑफिसर बन जाए, उनके लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी की बात भला क्या होगी? अब मोनिका भारद्वाज (IPS Monika Bhardwaj) से प्रेरणा लेकर गाँव की अन्य लड़कियाँ भी सिविल सेवा में जाने की तैयारी कर रही हैं।

दादा जी की दी सीख का प्रभाव पड़ा

मोनिका भारद्वाज (IPS Monika Bhardwaj) का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन पर उनके दादा की बातों का बहुत प्रभाव पड़ा था। मोनिका के दादाजी उन्हें सच्चाई और ईमानदारी की शिक्षा दिया करते थे। उन्होंने मोनिका को सिखाया कि देश तथा समाज की सेवा करना ही इंसान का वास्तविक धर्म है। मोनिका ने भी अपने दादाजी की बातों को ध्यान से सुना और उनके नक़्शे क़दम पर चलीं।

जल्दी घर बसा कर जीवन बर्बाद नहीं करना चाहती थीं IPS Monika Bhardwaj

मोनिका हरियाणा के ऐसे पिछड़े क्षेत्र से थीं, जहाँ पर बेटियों को जन्म लेते ही खत्म करने की घटनाएँ सामने आती हैं। आमतौर पर जैसा कि छोटे गाँव में होता है, लड़कियों पर जल्दी शादी करने का दबाव डाला जाता है, ऐसा ही प्रेशर मोनिका पर भी डाला जा रहा था, लेकिन मोनिका जल्दी शादी करके अपना जीवन बच्चों का पालन पोषण करने में बर्बाद नहीं करना चाहती थीं।

मोनिका के पिताजी दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं। पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी मोनिका का जुड़ाव अपने दादा-दादी से ज़्यादा था। मोनिका कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे ना सिर्फ़ उनके परिवार का, बल्कि उनके सारे गाँव का नाम रोशन हो। मोनिका ने बचपन से ही IPS ऑफिसर बनने का सपना देखा था।

मोनिका ने जो सोचा वह करके भी दिखाया। उन्होंने अपने गाँव सांपला की फर्स्ट महिला IPS बनकर इतिहास रच दिया। हालांकि उनका यह सफ़र आसान नहीं रहा था, बहुत मुश्किलों से जूझकर उन्हें यह उपलब्धि प्राप्त हुई। गाँव से कॉलेज पहुँचने के लिए उन्हें बस के धक्के खाने पड़ते थे। मोनिका की दादी माँ उनके इंतज़ार में गाँव के बस स्टॉप पर खड़ी होती थीं, पर मोनिका ने भी मजबूती से इन सभी दिक्कतों का सामना किया और IPS Officer बन कर ही मानीं। अभी वे दिल्ली की DSP के तौर पर कार्यरत हैं।

बस से लंबी दूरी तय करके कॉलेज जाना होता था

मोनिका ने अपनी शिक्षा गाँव में ही रहकर पूरी की थी। 10वीं कक्षा तक सांपला गाँव से और फिर 12वीं कक्षा रोहतक से पूरी की। उसके पश्चात उन्होंने BSC करने के लिए दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में एडमिशन ले लिया, परन्तु उनके गाँव से कॉलेज बहुत दूर पड़ता था। उन्हें रोजाना बस से कॉलेज आना और जाना पड़ता था और बस भी जल्दी नहीं मिल पाती थी। फिर चाहे डीटीसी हो या हरियाणा रोडवेज की बस हो, बहुत देर इंतज़ार करने के बाद ही बस मिलती थी। बहुत-सी दफा तो ऐसा भी होता था कि गाँव में बस स्टैंड ना होने की वज़ह से रुको आने पर भी बस नहीं रुका करती थी। फिर जैसे तैसे बस मिलती तो दिल्ली का ट्रैफिक जाम बस को आगे नहीं बढ़ने देता था।

इस तरह से 1 घंटे की दूरी तय करने में कम से कम ढाई घंटे लगते थे और कभी तो उससे भी ज़्यादा समय। फिर वापस लौटते वक़्त अगर ज़्यादा देर होती तो उनके गाँव के बस स्टैंड पर दादी इंतज़ार करती हुई मिलतीं थीं। इतनी परेशानियों के बाद भी मोनिका कॉलेज में कोई भी क्लास मिस नहीं करती थीं, क्योंकि वह रोज़ाना समय पर घर से निकल जाया करती थीं।

साल 2009 में सफलता हासिल की

इसके बाद मोनिका ने एक प्राइवेट जॉब भी शुरू कर दी थी और पैसे भी कमाए, पर उनका लक्ष्य तो सिविल सर्विसेज की परीक्षा देकर समाज की सेवा करने का था, इसलिए उन्होंने को ख़ूब पढ़ाई करके UPSC की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और परीक्षा दी। फिर वर्ष 2009 में उन्हें अपने लक्ष्य में कामयाबी मिली और वे IPS ऑफिसर बनीं। गौरतलब है कि IPS मोनिका भारद्वाज (IPS Monika Bhardwaj) वेस्ट और साउथवेस्ट डिस्ट्रिक्ट में एडिशनल DCP के पद पर कार्यरत रह चुकी हैं और PCR (पुलिस कंट्रोल Room) की यूनिट में भी उन्होंने काम किया है।

मोनिका भारद्वाज (IPS Monika Bhardwaj) के गाँव में लिंगा’नुपात और जैसी समस्याएँ बहुत फैली हुई थी। ऐसे में लड़कियों को बहुत ज़्यादा पढ़ाया लिखाया भी नहीं जाता और उनकी जल्दी शादी करवा दी जाती है, पर अब उनकी सोच बदल रही है। मोनिका अपने गाँव की पहली ऐसी लड़की हैं, जिसने इतना ऊंचा मुकाम हासिल किया। अब उनसे प्रेरणा लेकर गाँव की या अन्य बेटियाँ भी हिम्मत दिखाकर आगे बढ़ रही है और यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) की तैयारी भी कर रही हैं।

अब मोनिका भारद्वाज (IPS Monika Bhardwaj) की दो छोटी बहनें भी सिविल सेवा में जाने की तैयारी कर रही हैं। IPS मोनिका का कहना है कि “हर बच्चे का देश और समाज के लिए काम करने का दायित्व बनता है। जो आपको मिला है वह आप लौटाएँ। लोगों की सेवा कीजिए और अपने जीवन का एक उद्देश्य अवश्य रखिए।”

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News Desk
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