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घर गिरवी रखकर मां ने बेटे को पढ़ाया, होनहार बेटा IAS बना और लिखी किताब ‘मां मैं कलक्टर बन गया’

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“बुलंद हो होंसला तो मुट्ठी में हर मुकाम है”

इन्हीं पंक्तियों को सार्थक करते हैं अपने बुलंद हौंसलों से सपनों की उड़ान भरने वाले महाराष्ट्र के राजेश पाटिल (IAS Rajesh Patil) , जो वर्ष 2005 में ओडिशा कैडर से IAS ऑफिसर बने और अभी महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम के कमिश्नर के तौर पर कार्यरत हैं। जलगांव जिले के एक निर्धन परिवार से होने के बावजूद राजेश की यह सफलता सबके लिए प्रेरणादायी है। उनकी एक बुक भी पब्लिश हुई है, जिसका नाम ही उनकी सँघर्ष की कहानी कहता है। बुक का नाम है ”Tai mi Collectory vhayanu” यानि “मां मैं कलेक्टर बन गया”।

कर्ज में डूबा था परिवार

राजेश के परिवार की माली हालत बहुत खराब थी और उनका परिवार कर्ज में डूबा हुआ था। जिसकी वजह से राजेश को छोटी उम्र से ही घर की जिम्मेदारियों में लगना पड़ा था। उनकी 3 बहनें हैं और वे अकेले भाई। उनकी 3 एकड़ जमीन पर एक कुएं के पानी की मदद से खेती होती तथा इसके अलावा फसल की सिंचाई बारिश पर निर्भर होती थी।

आमदनी भी बहुत कम थी. इन परिस्थितियों की वजह से वे स्कूल नहीं जाते और लोगों के खेतों में काम किया करते थे। हालाँकि राजेश एक होनहार विद्यार्थी थे, परन्तु काम और घर की जिम्मेदारी की वजह से उन्हें पढ़ने का वक्त ही नहीं मिलता था। परन्तु उनके मन की सच्ची लगन व कड़ी मेहनत से वे कलेक्टर बने।

मन लगाकर करते थे पढ़ाई, मां से मिला प्रोत्साहन

राजेश बताते हैं कि, उन्हें बचपन से ही इस बात का अनुभव हो गया था कि यदि गरीबी की समस्या से मुक्ति पानी है, तो उसके लिए केवल शिक्षा ही एकमात्र साधन है। यह सोचकर मैं अपने व परिवार के जीवन स्तर को सुधारने हेतु खूब मन लगाकर पढ़ा करता था, भले ही मुझे कितनी भी थकान क्यों न हो गयी हो, पढ़ाई में आलस नहीं करता था। आगे बताते हुए वे कहते हैं कि, उनकी मां ने उन्हें पढ़ाई हेतु बहुत प्रोत्साहित किया, जिनकी वजह से राजेश जी का रुझान पढ़ाई की तरफ हुआ।

पढ़ाने के लिए गिरवी रखना पड़ा घर

राजेश पढ़ने में अच्छे थे और पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहते थे, लेकिन उनके घर की हालत ऐसी नहीं थी कि परिवारवाले उनकी पढ़ाई का खर्च उठा पाएं। इस वजह से पढ़ाई के लिए उन्हें अपना घर भी गिरवी रखना पड़ा था। हालांकि राजेश ऐसा नहीं चाहते थे और जॉब करके फीस भरना चाहते थे, पर उनके परिवार के लोगों ने उनसे कहा कि वे घर की हालत की टेंशन छोड़कर अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाएं।

उनके परिवार के सदस्य चाहते थे कि राजेश अपना कलेक्टर बनने का ख्वाब अवश्य पूरा करें। चूंकि उन्होंने मराठी स्कूल से पढ़ाई की थी, इस वजह से उनके सामने भाषा सम्बन्धी समस्या आयी थी। परन्तु, वे सभी मुश्किलों का सामना करते हुए निरन्तर आगे बढ़ते गए और मनचाही सफलता अर्जित की।

भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं IAS राजेश पाटिल

राजेश पाटिल (IAS Rajesh Patil) ने बचपन से ही हर जगह भ्रष्टाचार होते हुए देखा। उन्होंने गौर किया कि लोकल बॉडीज में भी करप्शन है। फिर चाहे बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना हो या डेथ सर्टिफिकेट, जो भी सरकारी काम या सरकारी योजनाएं होती हैं, उनमें बहुत भ्रष्टाचार होता है। अब IAS बनने के बाद राजेश चाहते हैं कि सिस्टम में बदलाव आए और भ्रष्टाचार खत्म हो।

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News Desk
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