भारत अपनी संस्कृति, सभ्यता और पौराणिक कथाओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है, जिसकी वजह से यहां पर्यटन काफी ज्यादा प्रचलित है। भारत के कुछ शहर या यूं कहें कि राज्य आज भी अपनी सदियों पुरानी विरासत को जिंदा रखे हुए हैं, जिसकी वजह से उनके इतिहास को देखना और समझना पर्यटकों के लिए बेहद रोमांचक अनुभव होता है।
भारत के प्रत्येक शहर या गांव का नाम किसी न किसी वजह से रखा गया है, जिनमें से कुछ नाम बहुत ही अनोखे तो कुछ बेहद मजाकिया लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ जाने-माने शहरों या जगहों का नाम राक्षसों के नाम पर रखा गया है, जी हां… आपने बिल्कुल सही सुना है। तो आइए जानते हैं भारत के उन शहरों के नाम, जो राक्षसों के ऊपर रखे गए हैं-
मैसूर (Mysore)
कर्नाटक में स्थित मैसूर बहुत ही खूबसूरत शहर है, जो पर्यटकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शहर का नाम राक्षस महिषासुर के ऊपर रखा गया है, जिसका वध करने के लिए ही माँ दुर्गा ने अवतार लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार मैसूर का नाम महिषुरु हुआ करता था, जो महिषासुर का राज्य था।
ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करने के बाद महिषासुर बहुत ही बलशाली हो गया था, ऐसे में उनसे पृथ्वी समेत स्वर्ग में देवताओं पर भी आक्रामण कर दिया। महिषासुर से परेशान होकर सभी देवता माँ आदिशक्ति के पास गए और उनसे महिषासुर का वध करने का आग्रह किया, जिसके बाद माँ ने दुर्गा स्वरूप धारण कर महिषासुर का वध किया था।
महिषासुर के वध के सालों बाद इस जगह को मैसुरु कहा जाने लगा, जो लोगों के ग़लत उच्चारण के कारण मैसूर बन गया था। तब से लेकर अब तक इस शहर को मैसूर के नाम से ही जाना जाता है, जो पर्यटकों के बीच काफ़ी मशूहर है।
गया (Gaya)
बिहार में मौजूद गया बहुत ही चर्चित शहर है, जो अपने खानपान और धार्मिक स्थलों के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। लेकिन इस शहर का नाम भी एक असुर के ऊपर रखा गया है, जो सदियों पहले धरती पर निवास किया करता था। गया का नाम गयासुर नामक राक्षस पर रखा गया है, जो ब्रह्मा जी का परम भक्त था। उसने ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था कि वह इतना पवित्र हो जाए कि उसे छूकर राक्षस भी स्वर्ग लोक पहुँच जाए और उनके सभी पाप धुल जाए।
हालांकि देवता इस बात से बिल्कुल भी प्रसन्न नहीं थे कि राक्षस विनाश और आतंक फैलने के बावजूद भी स्वर्ग लोग में निवास करें, इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने अपनी माया से ब्रह्म यज्ञ कर रहे गयासुर से दान में उसका शरीर (देह) मांग लिया, जिसके लिए गयासुर इंकार नहीं कर सकता था।
गयासुर ने यज्ञ के दौरान ख़ुद अपने देह का दान किया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो गई, लेकिन गयासुर का शरीर इतना विशाल था कि उसकी मृत्यु के बाद उसका शव जिस जगह पर गिरा था उस जगह का नाम उसके नाम पर गया रखा गया। यही वज़ह है कि देवताओं की पवित्र नगरी का नाम असुर गयासुर के नाम पर रखा गया है, जहाँ जाने वाले हर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जालंधर (Jalandhar)
जालंधर पंजाब में स्थित एक धार्मिक शहर है, जो पर्यटकों के बीद हिंदू देवी देवताओं के मंदिरों के लिए मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंदिरों से भरे इस शहर का नाम असल में एक दानव के ऊपर रखा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी पर एक जलंधर नामक राक्षस का निवास करता था, जो बहुत ही शक्तिशाली असुर था।
जलंधर का विवाह वृंदा नामक एक बहुत ही सुंदर कन्या से हुआ था, जो भगवान विष्णु की परम भक्त होने के साथ साथ एक पतिव्रता स्त्री थी। वृंदा के इसी सतित्व के कारण जलंधर की शक्ति दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और देवता उसका वध करने में असमर्थ थे। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपनी माया से जलंधर का रूप धारण किया और वृंदा के साथ छल करके उसका पतिव्रत धर्म तोड़ा दिया।
वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट जाने के कारण जलंधर की सभी शक्तियां क्षीण हो गई और देवताओं के लिए उसे हराना आसान हो गया। ऐसे में देवताओं और राक्षसों के युद्ध में जलंधर की मृत्यु हो गई, जिसकी वजह से पंजाब के जालंधर शहर का नाम जलंधर असुर पर रखा गया था।
कोल्हापुर (Kolhapur)
कोल्हापुर का डांस और वहाँ की साड़ी भारत समेत विश्व भर में काफ़ी प्रसिद्ध है, लेकिन महाराष्ट्र के इस मशहूर शहर का नाम एक असुर पर रखा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कोल्हापुर में कोल्हासुर नामक राक्षस का राज हुआ करता था, जिसकी वज़ह से इस शहर का नाम उसके ऊपर रखा गया है।
कोल्हासुर बेहद शक्तिशाली था, जो पृथ्वी वासियों पर बहुत अत्याचार किया करता था। ऐसे में देवताओं ने कोल्हासुर के आतंक को दूर करने के लिए माता लक्ष्मी से उसका वध करने की प्रार्थना की, जिसके परिणामस्वरूप माँ लक्ष्मी और कोल्हासुर में युद्ध हुआ और उसकी मृत्यु हो गई।
हालांकि वध से पहले कोल्हासुर ने भगवान शिव से वरदान मांगा था कि उसके क्रमों की वज़ह से देवी देवता उससे नराजा न हों और उसके नगर का नाम न बदला जाए। यही वज़ह है कि कोल्हासुर के वध के बाद भी उसके नगर का नाम कोल्हापुर ही रहने दिया गया था, जो आज तक जस के तस है।
पलवल (Palwal)
आपने हरियाण के पलवल शहर के बारे में तो बहुत बार सुना होगा, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इस जगह का नाम एक राक्षस के ऊपर रखा गया है। दरअसल पलवल का नाम असुर प्रलंबासुर के ऊपर रखा गया है, जो सदियों पहले इस जगह पर निवास किया करता था।
प्रलंबासुर मथुरा के राजा कंस यानी भगवान श्री कृष्ण के मामा का प्रिय असुर मित्र था, जिसने श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम का वध करने के लिए कंस की मदद की थी। कंस से अपनी मित्रता निभाने गए प्रलंबासुर को बलराम के क्रोध का सामना करना पड़ा और परिणास्वरूप उसका वध हो गया।
सुद्धमहादेव (Sudhmahadev)
जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में सुद्धमहादेव नामक एक छोटा-सा गाँव मौजूद है, जिसका नाम भगवान शिव के परम भक्त सुद्धांत राक्षस पर रखा गया था। सुद्धांत बहुत ही शक्तिशाली असुर था, जो अपनी शक्तियों से सभी को डराने की कोशिश करता था।
एक दिन राक्षस सुद्धांत ने कैलाश की तरफ़ आया और माँ पार्वती को डराने लगा, यह नजारा देखकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने तुरंत अपना त्रिशुल उठाया और सुद्धांत का वध कर दिया। हालांकि मृत्यु को नज़दीक देख सुद्धांत ने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि जिस जगह पर उसका शव पड़ा है, उसका नाम सुद्धांत के ऊपर रखा जाए।
महादेव ने सुद्धांत की प्रार्थना स्वीकार कर ली और जिस स्थान पर उसका शव गिरा था, उस जगह को सुद्धमहादेवन के नाम से जाना जाने लगा। इस गाँव में भगवान शिव का बहुत ही दिव्य मंदिर है, जहाँ भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।