अगर हम आपसे पूछे 100 साल की उम्र में आप क्या करेंगे तो शायद आपके पास कोई जवाब ना हो और यह भी मुमकिन है कि आपको अपने 100 साल तक जीने की ही उम्मीद ना हो, लेकिन अगर हम कहें कि 100 साल की उम्र में एक महिला अपना खुद का कारोबार चला रही हैं, तो आप बिल्कुल भी विश्वास नहीं करेंगे। बेहद हैरानी भरी यह बात बिल्कुल सच है।
1920 में केरल में पैदा हुई पद्मावती नायर साड़ियों पर पेंटिंग का कार्य करती हैं और उन्हें अपने काम से बहुत प्यार है। 100 साल की पद्मावती जी हर रोज लगभग 3 घंटे काम करती हैं और स्वयं के लिए बनाया अपना टारगेट पूरा करती हैं। उनका मानना है कि इंसान को सक्रिय रहना चाहिए, व्यस्त रहना चाहिए और दूसरों के जीवन में ज्यादा दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपने काम से बहुत आनंद और संतुष्टि मिलती है इसलिए वह अपने काम में व्यस्त रहती हैं।
ऐसी है पद्मावती जी की दिनचर्या
पद्मावती जी प्रतिदिन 5:30 से 6:30 बजे के बीच में उठ जाती है। चाय और नाश्ते के साथ अखबार पढ़ती हैं और उसके बाद लगभग 10:30 बजे साड़ियों पर पेंटिंग करने के अपने काम के लिए बैठ जाती है। पूरी तन्मयता के साथ वह अपना टारगेट पूरा करती हैं और फिर तीन-साढे तीन घंटे बाद दोपहर 1:00 बजे ही अपनी डेस्क से उठती हैं।
60 की उम्र में व्यवसाय की शुरुआत की
केरल में जन्मी पद्मावती जी की शादी 1945 में श्री केके नायर जी से हुई थी। उनके पति मुंबई की फोर्ड कंपनी में काम करते थे, इसलिए पद्मावती जी भी अपने पति के साथ मुंबई आ गयी। उन्हें हमेशा सिलाई कढ़ाई का शौक रहा है।अपने इस शौक और हुनर का बखूबी प्रयोग करते हुए वह अपने बच्चों के कपड़े सिलने का काम खुद करती थी और इस तरह से वह अपने हुनर को गढ़ने का कार्य करती रही। 60 साल की उम्र में उन्होंने अपने शौक को व्यवसाय में बदल दिया। शुरुआत में वह बहुत कम पेंट किया करती थी लेकिन अपनी डिजाइनर बेटी के द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर उन्होंने अपने काम को बढ़ाया। 60 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कमाई की थी,जिसकी धुंधली सी स्मृति उनके मन में है।
दादी बताती हैं यह बहुत मेहनत का काम होता है और इसमें बहुत वक्त भी लगता है लेकिन दादी अपने काम को पूरी लगन के साथ करती हैं। पहले वह साड़ी के लिए लेआउट तैयार करती हैं और फिर उसमें रंग भरती है। दादी कहती हैं अब तक उन्होंने कितनी साड़ियां तैयार की उन्हें यह नहीं याद लेकिन वह प्रतिदिन अपने काम में लगी रहती है। एक साड़ी तैयार करने में 1 महीने का समय लगता है। एक साड़ी की कीमत 11 हजार रुपए हैं,जिसमें साड़ी की भी कीमत शामिल रहती है और दुपट्टे के लिए वह 3000रुपये लेती हैं।
परिवार के साथ से मुमकिन हो पाता है काम
दादी का कहना है कि शुरुआत में वह ज्यादा काम नहीं करती थी,लेकिन उनकी बेटी और बहुओं ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित किया। वह लोग हमेशा उनके काम की तारीफ करती और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी बेटी और बहुएँ ही उन्हें साड़ी और पेंटिंग का सामान उपलब्ध कराती हैं। दादी बताती हैं कि उनका जीवन बहुत अच्छा है उनके 5 बच्चे और 4 नाती-पोते हैं जो उनसे बहुत प्यार करते हैं और उनका बहुत सम्मान भी करते हैं। उनकी बेटी लता बताती है कि इस काम से कमाए हुए पैसे वह कभी भी अपने ऊपर नहीं खर्च करती बल्कि अपने नाती पोतों के लिए ही व्यय करती हैं।
आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती हैं दादी
100 वर्ष की उम्र में भी दादी अपने सारे काम स्वयं करती हैं। इस उम्र में भी वह नयी-नयी चीजें सीख रही हैं, चाहे वह फोन का इस्तेमाल हो या सोशल मीडिया का। दादी तकनीकी माध्यमों से भलीभांति परिचित हैं। उनका मानना है कि हमें खुद पर निर्भर होना चाहिए और यही सीख उन्होंने अपने बच्चों को भी दी है तथा वह सभी को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती हैं।