विज्ञान और तकनीक में अब भारत भी अन्य विकसित देशों की तरह काफ़ी आगे बढ़ चुका है। इसके कई उदाहरण हमें देखने को मिले हैं। इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) द्वारा बनाया हुआ एक मानवरहित ड्रोन हेलीकॉप्टर भी अच्छा खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए जानते हैं इस मानवरहित ड्रोन हेलीकॉप्टर के बारे में। आख़िर क्या है इसकी खासियत?
यह हेलीकॉप्टर एक मानवरहित ड्रोन हेलीकॉप्टर है जिसे आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने स्टार्टअप इंड्योरएयर की मदद से डिजाइन किया है। यह हेलीकॉप्टर कई मामलों में ख़ास है। यह सियाचिन से राजस्थान तक हमारे देश की सीमाओं पर दुश्मनों पर नज़र रख सकता है। इसके अलावा भी यह प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत कार्य में मदद कर सकता है और देश में चल रहे कोरोना वैक्सीन वितरण में भी काफ़ी सहायता कर सकता है।
यह -20 से 50 डिग्री के बीच काम कर सकता है
अभी भी हमारे देश में कोई ऐसी जगह है जहाँ आप पैदल या फोर व्हीलर के द्वारा नहीं पहुँच सकते हैं और जैसा कि हम सभी को पता है अभी पूरे देश में कोरोना वैक्सीन पहुँचाने का काम चल रहा है तो ऐसे में इस मानवरहित ड्रोन हेलीकॉप्टर के द्वारा आसानी से उन जगहों पर भी वैक्सिंन को पहुँचाया जा सकता है। यह हेलीकॉप्टर पेट्रोल द्वारा चलता है, जिससे 5 किलो के भार को 50 किलोमीटर की दूरी तक आसानी से ले जाया जा सकता है। वही बात अगर तापमान की जाए तो यह हेलीकॉप्टर -20 से 50 डिग्री के बीच काम कर सकता है। यह हेलीकॉप्टर राजस्थान में रेगिस्तान पर और लेह में जिसकी ऊंचाई लगभग 11500 फीट है वहाँ भी यह सफलतापूर्वक खड़ा उतरा है।
ड्रोन हेलीकॉप्टर का वजन 4 किलो है
यह मानवरहित ड्रोन हेलीकॉप्टर लगभग 4 घंटे तक लगातार उड़ सकता है तथा इसका वज़न 4 किलो है, कोई भी इंसान बहुत आसानी से उठा सकता है और एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर में बाक़ी हेलीकॉप्टर की तरह लैंडिंग या टेक ऑफ की समस्या भी नहीं है, क्योंकि यह किसी भी जगह उतर सकता है और किसी जगह से उड़ान भर सकता है। इस हेलीकॉप्टर की एक और ख़ास बात यह है कि यह लीडार तकनीक के द्वारा बहुत ही आसानी से दुश्मनों का भी पता लगा सकता है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि या आधुनिक भारत की तकनीक का एक बहुत अच्छा उदाहरण है। इस आधुनिक हेलीकॉप्टर के द्वारा हमारी भारतीय सेना और ज़्यादा मज़बूत हो सकती है। आगे भी उम्मीद है कि इस तरह के तकनीकों द्वारा नए-नए चीजों का आविष्कार होता रहेगा।