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4 भाईयों ने 50 हजार का कर्ज लेकर शुरू की थी Hero Cycles, फिर ऐसे बनी दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी

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Hero Cycles Success Journey : आज के समय में बच्चों के पास खेलने के लिए आधुनिक मोबाइल फोन और वीडियो गेम्स की सुविधा मौजूद है, लेकिन एक दौर वह भी था जब बच्चे खुले मैदानों में खेलते थे और साइकिल से स्कूल जाया करते थे।

90 के दशक की इन खूबसूरत यादों में हीरो ब्रांड की साइकिल (Hero Cycle) भी शामिल है, जिसे चलाने का सपना हर बच्चा देखता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हीरो की शुरुआत कैसे हुई थी और यह कैसे भारत का सबसे लोकप्रिय साइकिल ब्रांड बना था।

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देश का बंटवारा और हीरो साइकिल (Hero Cycles Success Story)

हीरो (Hero Cycles) भले ही भारत का मशहूर साइकिल ब्रांड हो, लेकिन इस ब्रांड की शुरुआत करने वाले लोग आज के पाकिस्तान से ताल्लुक रखते थे। यहाँ के कमलिया शहर में अनाज की दुकान चलाने वाले बहादुर चंद मुंजाल और ठाकुर देवी के घर में चार बेटों को जन्म हुआ था, जो आगे चलकर हीरो ब्रांड के निर्माता बने थे।

इन चार बेटों (Munjal Brothers) का नाम सत्यानंद मुंजाल, ओमप्रकाश मुंजाल, ब्रजमोहन लाल मुंजाल और दयानंद मुंजाल था, जो एक मध्यम वर्गीय परिवार में पले बड़े थे। इसी दौरान देश का बंटवारा हो गया और पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को भारत लौटना पड़ा था।

इस भीड़ में मुंजाल भाई भी शामिल थे, जो पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़कर भारत के पंजाब राज्य के लुधियाना शहर में बस गए थे। देश के बंटवारे के दौरान बेरोजगारी चरम पर थी, ऐसे में मुंजाल भाईयों ने अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए गलियों में साइकिल के पुर्जे बेचने शुरू कर दिए थे।

इस तरह मुंजाल भाईयों का काम धीरे-धीरे चलने लगा, जिसकी वजह से शहर भर में उनकी जान पहचान बढ़ने लगी। इसके बाद उन्होंने थोक के भाव में साइकिल के पार्ट्स बेचना शुरू दिया, जिसके लिए उन्होंने बैंक से 50 हजार रुपए का लोन लिया था।

इस तरह मुंजाल भाईयों ने साल 1956 में लुधियाना में साइकिल पार्ट्स बनाने वाली पहली यूनिट की शुरुआत की, जिसका नाम HERO CYLES रखा गया था। इसके बाद मुंजाल भाईयों को समझ आ गया कि मार्केट में साइकिल की मांग काफी ज्यादा है, इसलिए उन्होंने पार्ट्स के साथ-साथ साइकिल बनाने का फैसला किया।

इस तरह मुंजाल भाईयों ने 1 दिन में 25 साइकिलों का निर्माण करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से उनका बिजनेस चल पड़ा। इस तरह साल 1956 से 1966 के बीच महज 10 सालों में हीरो साइकिल का कारोबार बढ़ गया, जिसकी वजह से कंपनी ने एक साल में एक लाख साइकिल तैयार करने लगी थी।

Brijmohan-Lal-Munjal

बना भारत का सबसे लोकप्रिय ब्रांड

भारत में हीरो साइकिल (Hero Cycles) का नाम चलने लगा था, लेकिन इस कंपनी का सफलता कभी रूकने वाली नहीं थी। हीरो कंपनी ने धीरे-धीरे साइकिल बनाने की क्षमता बढ़ी दी, जिसकी वजह से यह कंपनी सालाना 5 लाख से ज्यादा साइकिल बनाने और बेचने लगी थी।

इस तरह साल 1986 आने तक हीरो साइकिल देश का मशहूर ब्रांड बन चुका था, जो हर साल 22 लाख से ज्यादा साइकिलों का उत्पादन करने लगी थी। ऐसे में हीरो ब्रांड ने इतनी ज्यादा संख्या में साइकिलों का निर्माण एक नया रिकॉर्ड बना लिया था, इस वक्त तक हीरो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी।

1980 का दशक आने तक हीरो कंपनी रोजाना 19 हजार साइकिल तैयार करने लगी थी, जबकि इस कंपनी शुरुआत महज 25 साइकिलें बनाने से हुई थी। ऐसे में साल 1986 में हीरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल उत्पादक कंपनी के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया था।

हीरो साइकिल (Hero Cycles) की मांग भारत के अलावा एशिया के अन्य देशों में भी तेजी से बढ़ने लगी थी, जबकि अफ्रीका और यूरोप के 89 देशों में हीरो ब्रांड की साइकिल निर्यात होती है। इसके अलावा भारतीय बाज़ार में हीरो की साइकिल ने 48 फीसदी हिस्सेदारी है।

Munjal-Brothers-Hero-Cycles

मुंजाल भाईयों की बड़ी सोच का असर

हीरो साइकिल (Hero Cycle) की लोकप्रियता का श्रेय मुंजाल भाईयों (Munjal Brothers) की सोच को जाता है, जिन्होंने कंपनी को आगे बढ़ाने के साथ-साथ डीलर्स, वर्कर और ग्राहकों की जरूरत का खास ख्याल रखा था। हीरो ने ग्राहक को हमेशा अच्छी क्वालिटी साइकिल और पार्ट्स दिए, ताकि हर कोई हीरो के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके।

साल 1990 में हीरो साइकिल (Hero Cycle) ने भारत की अन्य कंपनियों को उत्पादन और मुनाफे के मामले में पीछे छोड़ दिया था, जिसकी वजह से हीरो की लोकप्रियता लगातार बढ़ती चली गई। हीरो की साइकिल की कीमत आम लोगों की पहुँच में थी, जबकि उसकी बेहतरीन क्वालिटी की वजह से ग्राहक कंपनी से जुड़े रहते थे।

ऐसे में मुंजाल भाईयों को यह यकीन हो चुका था कि वह साइकिल किसी भी कीमत पर क्यों न बेचे, साइकिल की बेहतरीन क्वालिटी की वजह कंपनी हमेशा मुनाफा कमाएगी। इसके अलावा हीरो ने कंपनी के मुनाफे का एक हिस्सा डीलर्स और वर्कस को भी दिया था।

मुंजाल भाईयों की इस सोच और मुनाफा में हिस्सेदारी की वजह से डीलर्स और कमर्चारी कंपनी से बंधे रहते थे, क्योंकि कंपनी के फायदे में उनका भी फायदा होता था। साल 1980 में हीरो साइकिल से भरे एक ट्रक का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें आग लगने की वजह से सारी साइकिलें बर्बाद हो गई थी।

आमतौर पर इस तरह की दुर्घटना पर मालिक नुकसान के बारे में सोचता है, लेकिन मुंजाल भाईयों ने नुकसान के बारे में सोचने के बजाय ट्रक ड्राइवर की खैरियत के बारे में पता लगाया था। इसके अलावा कंपनी ने पूरे नुकसान की भरपाई भी की थी और डीलर से एक भी पैसा नहीं लिया।

विदेशों में होती है हीरो मैनेजमेंट की तारीफ

मुंजाल भाईयों की बेहतरीन सोच और हीरो साइकिल्स (Hero Cycles) के मैनेजमेंट के चर्च भारतीय बाजारों में आज भी होते हैं, जिसकी तारीफ बी.बी.सी और वर्ल्ड बैंक जैसी बड़ी संस्थाएँ भी कर चुके हैं। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल और इंसीड फ्रांस में हीरो कंपनी के व्यापारिक ढांचे पर छात्रों को केस स्टीड करने को कहा जाता है।

साल 2004 में हीरो साइकिल को ब्रिटेन ने सुपर ब्रांड का खिताब दिया था, जो 14 करोड़ से ज्यादा साइकिलों का उत्पादन करके दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के रूप के अपनी पहचान बना चुकी है। दुनिया भर में हीरो के 7, 500 से ज्यादा आउटलेट्स मौजूद हैं, जाहं 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।

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साइकिल से हीरो मोटर्स का सफर

दुनिया भर में साइकिल की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी बनने के बावजूद भी हीरो (Hero Cycles) ने अपना सफर जारी रखा, जिसके बाद इस कंपनी ने मोटर्स के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया। इसके तहत हीरो ने साइकिल कंपोनेंट्स, ऑटोमोटिव, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स, आटी और सर्विसेज जैसे प्रोडक्ट्स बनाना शुरू कर दिया था।

इसके बाद हीरो ने टू व्हीलर के क्षेत्र में कदम रखा और साल 1984 में जापान की मशहूर वाहन निर्माता कंपनी होंडा के साथ मिलाया था, जिसके बाद भारतीय बाजारों में हीरो होंडा की बाइक का चलन शुरू हो गया था। इस कंपनी को हीरो होंडा मोटर्स लिमिटेड (Hero Honda Motors Ltd) नाम दिया गया था, जिसकी पहली बाइक 13 अप्रैल 1985 को लॉन्च की गई थी।

इस तरह हीरो होंडा ने लगभग 27 सालों तक एक साथ काम किया और भारतीय बाजारों में इस कंपनी की बाइक ढेरों बिक्री हुई थी। हालांकि लंबे समय तक एक साथ काम करने के बाद साल 2011 में हीरो और होंडा ने अपना करार खत्म कर दिया, जिसके बाद यह कंपनियाँ एक दूसरे से अलग हो गई थी।

वर्तमान में भारतीय बाजारों में मुंजाल भाईयों (Munjal Brothers) द्वारा शुरू की गई इस कंपननी को हीरो के नाम से जाना जाता है, जो साइकिल के साथ-साथ बाइक का भी उत्पादन करती है। हीरो हर साल तकरीबन 75 लाख साइकिल का उत्पादन (Manufacturing Capacity)करती है, जिसकी बिक्री आज भी काफी ज्यादा है।

Pankaj-Munjal

दुनिया को अलविदा कह गए मुंजाल भाई

1950 के दशक में 4 भाईयों ने 50 हजार का लोन लेकर हीरो साइकिल की शुरुआत की थी, लेकिन जैसे-जैसे कंपनी सफलता की सीढ़ी चढ़ती गई वैसे-वैसे मुंजाल भाई दुनिया को अलविदा कहते चले गए थे। इनमें सबसे बड़े भाई दयानंद मुंजाल का देहांत 1960 के दशक में हो गया था।

इसके बाद दो भाईयों ओमप्रकाश मुंजाल और बृजमोहन लाल मुंजाल का निधन साल 2015 में हुआ था। वहीं सबसे छोटे भाई सत्यानंद मुंजाल साल 2016 में दुनिया को अलविदा कहकर चले गए थे। फिलहाल मुंजला भाईयों की हीरो कंपनी (Hero Cycle) को ओमप्रकाश मुंजाल के बेटे पंकज मुंजाल (Pankaj Munjal) संभाल रहे हैं।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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