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युवा किसान ने बंजर जमीन पर 10 साल पहले लगाये थे ऑर्गेनिक खजूर, अब हर वर्ष कमाते हैं 35 लाख रुपए

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Nirmal Singh Organic Dates Farming – दोस्तों कई ऐसी फसलें हैं जिन्हें उगने के लिए अच्छा तापमान और पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन आपको बता दें कि जहाँ तापमान अधिक रहता हो और पानी की कमी रहती हो ऐसे में अन्य फसलों की खेती बहुत ही कम होती है। लेकिन ऐसे स्थानों पर ऑर्गेनिक खजूर की खेती बहुत अच्छी तरीके से की जा सकती है। बता दें कि इस फसल को लगाने में लागत बहुत कम आती है और आमदनी बहुत ही अच्छी होती है। khajur ki kheti kaise kare

आज हम आपको एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने ऑर्गेनिक खजूर की खेती करके काफी अच्छी कमाई करना शुरू किया है। दोस्तों आज हम गुजरात (Gujarat) के रहने वाले किसान निर्मल सिंह (Nirmal Singh) के बारे में बात कर रहे हैं। 10 वर्ष पहले इन्होंने अपने जमीन के काफी सारे हिस्से में ऑर्गेनिक खजूर के पौधे लगाए (Organic Khajur Farming) थे। यह पौधे अब पूरी तरीके से तैयार हो चुके हैं और इनमें फल भी लगने लगे हैं। किसान निर्मल सिंह ऑर्गेनिक खजूर की खेती के द्वारा सालाना 3500000 रुपए कमाते हैं।

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निर्मल सिंह ने बातचीत के दौरान यह बताया कि 10 वर्ष पहले इन्होंने कच्छ से लाकर के खजूर के पौधे अपनी बंजर जमीन (Barren Land) में लगाए थे। खजूर की अच्छी पैदावार एवं इन पौधों को ऑर्गेनिक बनाने के लिए इन्होंने फसल में कई तरह के प्रयोग भी किए थे। जिसके कारण आज इनके द्वारा लगाया गया हर खजूर का पेड़ भारी मात्रा में खजूर उगा रहा है।

निर्मल सिंह बताते हैं कि इन्होंने अपने पौधों में केवल गोमूत्र और गोबर के मिश्रण से तैयार ऑर्गेनिक खाद ही दिया था और इसी के कारण इन पौधों का विकास बहुत जल्दी हुआ और खजूर में काफी अच्छी मिठास भी आई है।

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400 रुपए किलो के भाव से होती है बिक्री

दोस्त आपको बता दें कि निर्मल सिंह बताते हैं कि वह हर वर्ष अपने निवास स्थान के आसपास से लगे शहरों में ही अपने फसल के खजूर बेचते हैं। जहाँ दूसरे खजूर 80 से लेकर के ₹100 किलो के हिसाब से बिकते हैं। वहीं इनके द्वारा उगाए ऑर्गेनिक खजूर ढाई सौ से ₹400 किलो तक में बिक रहे हैं।

इन ऑर्गेनिक खजूरों की अहमदाबाद एवं मुंबई जैसे बड़े शहरों में बहुत ज्यादा डिमांड होती है। निर्मल सिंह ने बताया है कि उन्होंने अपनी फसल में केमिकल खाद का प्रयोग न करके जैविक खाद का प्रयोग किया है। जिसके कारण इनकी फसल की पैदावार कुछ कम है। लेकिन इनके खजूर का टेस्ट अन्य खजूर से बहुत ही अच्छा है।

एक पेड़ से मिलता है 80 किलो खजूर

निर्मल सिंह के अतिरिक्त खजूर की फसल का उत्पादन करने वाले किसान युवराज वाघेला बताते हैं कि उनके खेत में 7000 नर खजूर के पौधे हैं और 8000 मादा खजूर के पौधे हैं। इन दोनों की तरीके के पौधों में अलग-अलग टेस्ट के खजूर लगते हैं और हर एक पेड़ से 70 से 80 किलो खजूर प्राप्त होता है।

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फल को प्लास्टिक की थैलियों से ढ़कते हैं

बातचीत के दौरान इन्होंने यह भी बताया है कि पेड़ पर उगने वाले खजूर को यह प्लास्टिक की थैलियों से ढकते हैं ताकि इस फसल पर बाहर के वातावरण का बुरा प्रभाव ना पड़ सके। इससे डाल में लगे खजूर के फल खराब नहीं हो पाते हैं और कीड़े मकोड़ों के हमले से भी यह फल बचे रहते हैं।

निर्मल सिंह के खेत की देखभाल रमेश जी ठाकुर नामक व्यक्ति करते हैं। उन्होंने यह बताया कि उनके खेत में 25 मजदूर कार्य करते हैं और यह सभी खेत के आस-पास ही निवास करते हैं और इसी खजूर के फसल से उनके घर का पालन पोषण होता है।

क्यों है खजूर की भारी डिमांड?

इंसान को बता दे कि खजूर धरती पर उगने वाला सबसे पुराना पेड़ बताया जाता है। इसमें कैल्शियम, चीनी, आईरन एवं काफी अधिक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है। इसका इस्तेमाल सामाजिक आयोजन एवं त्यौहार पर अधिक किया जाता है।

इसके अतिरिक्त खजूर स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक माना जाता है। इसका सेवन कब्ज, ह्रदय रोग एवं अन्य कई प्रकार के रोगो में किया जाता है। खजूर उपयोग चटनी, जूस एवं बेकरी आइटम्स बनाने में भी किया जाता है। इसीलिए इसकी डिमांड काफी ज्यादा होती है।

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खजूर की खेती के बारे में जानकारी (How to do dates Farming)

आपको बता दें कि खजूर की खेती (Khajur Ki Kheti) बंजर जमीन पर भी की जा सकती है। इसके लिए किसी विशेष तरह की जमीन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साल में दो बार खजूर के पौधों की प्लांटिंग होती है। पहली बार प्लांटिंग फरवरी एवं मार्च के महीने के दौरान की जाती है और दूसरी बार खजूर की प्लांटिंग अगस्त एवं सितंबर महीने के बीच में होती है। खजूर के 2 पौधों के बीच में 6 से लेकर के 8 मीटर तक की दूरी रखा जाता है।

इसके एक फसल को पूरी तरीके से तैयार होने में लगभग 8 वर्ष तक का समय लगता है। उसके बाद यह पौधे पेड़ का रूप ले लेते हैं और इनमें फल उगने लगते हैं। खजूर के फसल की सिंचाई वर्तमान में ड्रिप इरिगेशन टेक्निक के द्वारा की जाती है। यदि आप खजूर के फसल में केमिकल खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग करते हैं तो इससे फसल काफी अच्छी होती है और जमीन की उर्वरता भी बढ़ती है।

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कम लागत अधिक मुनाफा

आपको बता दें कि खजूर की फसल (Dates Farming) तैयार होने में अन्य फसल के अनुपात में अधिक समय लग जाता है। लेकिन जब एक बार खजूर के पेड़ में फल आने लगते हैं तो फिर कमाई की रफ्तार भी बढ़ जाती है। विशेष तौर पर खजूर की खेती के लिए बहुत कम संसाधन की आवश्यकता पड़ती है। थोड़े से देखरेख और बीच के खर्चे में ही अच्छी फसल तैयार हो जाती है।

एक खजूर के पेड़ से एवरेज 70 से लेकर के 100 किलो तक फल प्राप्त होता है और 1 एकड़ जमीन में खजूर के 70 पौधे बेहतर तरीके से लगाया जा सकते हैं। यानी कि 1 एकड़ जमीन में लगे पेड़ों से 50 क्विंटल से भी अधिक खजूर का फल प्राप्त होता है। यदि यह फल ₹100 किलो के भाव में भी बाज़ार में बिकता है तो सालाना 500000 तक की कमाई हो जाती है।

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News Desk
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