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गरीबी ने गली-गली घूम गोबर उठाने को किया मजबूर, फिर एक आईडिया से 8 महीनें में 8 करोड़ की कम्पनी बना ली

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चाहे आप लाख विषम परिस्थिति में जी रहे हो लेकिन आपमें बस हौसला होना चाहिए तो सफलता एक दिन अवश्य ही आपके पास चलकर आएगी। गौरव राणा (Gaurav Rana) ने भी अगर इतना बड़ा सपना नहीं देखा होता तो शायद आज भी वह उसी माहौल में जी रहे होते जिस माहौल में उन्होंने अपना बचपन बिताया है।

आइए जानते हैं गौरव राणा (Gaurav Rana) की कहानी को कि कैसे उन्हें बचपन में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी, उन्हें घूम-घूम कर गोबर तक उठाना पड़ा और वही गौरव आगे चलकर 8 करोड़ की कंपनी स्थापित किए, जानिए उनके आगे के सफ़र को…

पढ़ाई के लिए गाँव से बाहर काफ़ी दूर जाना पड़ता था

हरियाणा के रहने वाले गौरव राणा (Gaurav Rana) का जन्म एक बेहद पिछड़े परिवार में हुआ था। गाँव में कोई स्कूल ना होने के कारण उन्हें पढ़ाई के लिए गाँव से बाहर काफ़ी दूर जाना पड़ता था। गौरव के दादाजी की एक किराने की दुकान थी। उससे बहुत मुश्किल से घर का ख़र्च चल पाता था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद गौरव को पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ा। जैसे-तैसे कर गौरव अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे। उसी बीच पिता के बीमार हो जाने के कारण आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई।

साल 2011 में ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त किए

गौरव ने काफ़ी मुश्किलों का सामना करते हुए किसी भी तरह आगरा के “एजुकेशनल इंस्टीट्यूट” (Educational Institute) में अपना दाखिला करवाया। इनकी लगन, मेहनत और पढ़ाई के प्रति जुनून देखते हुए इनके गाँव के कुछ लोगों ने और इनके कुछ रिश्तेदारों ने इनकी आर्थिक मदद की। तब 2011 में गौरव ने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इंजीनियरिंग करने के बाद गौरव नौकरी की तलाश में जुट गए। काफ़ी तलाश के बाद इंदौर में एक नौकरी ढूँढ पाने में गौरव सक्षम हुए। इस तरह इनके घर की स्थिति में थोड़ी-सी सुधार आई।

दादा जी के मृत्यु के बाद सारी जिम्मेदारी गौरव के ऊपर आ गई

दुर्भाग्यवश अभी स्थिति थोड़ी संभली ही थी तब तक गौरव के दादा जी की मृत्यु हो गई। दादा जी के मृत्यु के बाद घर की सारी जिम्मेदारी गौरव के ऊपर आ गई। तब गौरव अपने घर का ख़र्च उठाने के साथ-साथ एक स्टार्टअप कंपनी की शुरूआत की। लेकिन उनकी क़िस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें अपने इस स्टार्टअप में सफलता नहीं मिली। लेकिन गौरव रुके बिना आगे बढ़ने का प्रयास करते रहे।

2015 में एक ब्यूटी सर्विस की स्थापना की

एक बार फिर हौसले और जुनून के साथ गौरव ने 2015 में ख़ुद की एक ब्यूटी सर्विस की स्थापना की। अपने इस स्टार्टअप का नाम उन्होंने कैलेप्सो (Calipso) रखा और अपने इस स्टार्टअप में गौरव ने मोबाइल ऐप और वेबसाइट के द्वारा लोगों तक अपनी ड्यूटी सर्विस को पहुँचाने का काम करने लगे। इस बार भाग्य ने उनका साथ दिया और उन्हें सफलता मिलने लगी और धीरे-धीरे करके उनकी यह कंपनी पूरी तरह से स्थापित हो गई।

2019 में भारतीय रेलवे ने भी गौरव की कंपनी Calipso से टाई अप कर लिया

गौरव (Gaurav Rana) का यह ब्यूटी प्रोडक्ट खासकर महिलाओं को बहुत ज़्यादा पसंद आने लगा क्योंकि उन्हें उनके डिमांड पर घर बैठे सर्विस मिलने लगा। उनकी यह कंपनी धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो चुकी थी। यही कारण है कि रूम्स जैसी कंपनी ने भी कैलेप्सो (Calipso) से मिलकर ब्यूटी प्रोडक्ट को भारत के अलग-अलग शहरों और होटल्स में भेजने का काम शुरू किया। इस काम से गौरव को भी बहुत ज़्यादा मुनाफा होने लगा और 2019 आते-आते भारतीय रेलवे ने भी गौरव की कंपनी कैलेप्सो (Calipso) से टाइ अप कर लिया और रेल में भी मसाज जैसे सर्विस उपलब्ध कराने की शुरुआत की गई।

गौरव राणा (Gaurav Rana) ने बताया कि बचपन में गलियों में घूम घूमकर गोबर भी उठाने का काम किया और अपने मेहनत और हौसले से करोड़ों की कंपनी की शुरुआत की। इतना ही नहीं आज गौरव ने इस कम्पनी के माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी दे रहें हैं। गौरव ने अपनी मेहनत के बल पर जो कार्य किया है काफ़ी लोगों के लिए प्रेरणादाई है।

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News Desk
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