हम सभी जानते हैं कि पेड़ पौधे पर्यावरण और मानव जीवन के लिए बहुत ही ज़रूरी है, लेकिन बावजूद इसके बढ़ी संख्या में जंगलों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। जंगलों को काटने के पीछे शहरीकरण और मानव ज़रूरत को पूरा करने वाले चीजों का निर्माण अहम कारण है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक पेड़ के काटे जाने पर 1 लाख 70 हज़ार पेंसिल का निर्माण किया जाता है, ऐसे में सालाना करोड़ों की संख्या में बनाई जाने वाली पेंसिल के लिए कितने ही जंगलों को ख़त्म कर दिया जाता होगा।
पेड़ों की लगातार कटाई का असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, जिसकी वज़ह से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ पैदा हो रही हैं। ऐसे में दिल्ली की एक महिला ने बिना पेड़ों की कटाई किए पेंसिल बनाने का बेहतरीन स्टार्टअप शुरू किया है, जिससे पर्यावरण को काफ़ी हद तक सुरक्षित किया जा सकता है।
पेड़ों की कटाई के बिना कैसे बनेगी पेंसिल
पेड़ों की कटाई रोकने और पेंसिल बनाने की नई प्रक्रिया को शुरू करने वाली महिला का नाम निवेदिता मिश्रा (Nivedita Mishra) है, जो दिल्ली में रहती हैं। निवेदिता ने हाल ही में Kampioen Work नामक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू की है, जिसमें बिना पेड़ों को नुक़सान पहुँचाए पेंसिल बनाने का काम किया जाएगा।
इस कंपनी में पेंसिल बनाने के लिए रिसाइकल होने वाले पेपर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि एक बार इस्तेमाल होने के बाद उसी पेपर को दोबारा यूज करके पेंसिल बनाई जा सके। फिलहाल निवेदिता अपने स्टार्टअप के जरिए बनाई जाने वाली पेंसिल के निर्माण के लिए पुराने अखबारों का इस्तेमाल कर रही हैं।
इंजीनियर से व्यापारी तक का सफर
यूं तो निवेदिता पेशे से एक इंजीनियर हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी नौकरी छूट गई। इस बीच निवेदिता ने दूसरी नौकरी ढूँढने के बजाय अपना एक स्टार्टअप करने का फ़ैसला लिया, जिसके तहत उन्हें रिसाइकल पेपर से पेंसिल बनाने का आइडिया आया। निवेदिता को स्टार्टअप की कोई जानकारी या एक्सपीरियंस नहीं था, लेकिन उनके हौंसले काफ़ी बुलंद थे। इन्हीं बुलंद हौंसलों के साथ निवेदिता ने रिसाइकल पेपर के जरिए पेंसिल निर्माण के आइडिया पर काम किया और Kampioen कंपनी की नींव रख दी।
मुश्किलों को पार करके पाया मुकाम
निवेदिता ने स्टार्टअप तो कर लिया था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान नौकरी जाने और घर की ज़रूरतों को पूरा करने की वज़ह से उनके पास संसाधनों की कमी हो गई थी। ऐसे में उन्होंने लंबे समय तक अपने स्टार्टअप के बारे में सोचा और नए-नए आइडिया के जरिए उसे शुरू करने की कोशिश की।
इसके साथ ही निवेदिता ने इस बात का भी ध्यान दिया कि उनका प्रोडक्ट पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाए बिना तैयार किया जाए, इसलिए उन्होंने पुराने अखबारों और रिसाइकल पेपर के जरिए पेंसिल बनाने का काम शुरू किया। हालांकि इस काम को करने में शुरूआत में निवेदिता को काफ़ी परेशानियों को सामना करना पड़ा, लेकिन आखिरकार उनके हौंसले और हिम्मत के आगे मुश्किलों को भी घुटने टेकने पड़े।
ग्राहकों की सुविधा और आयु का रखा गया है ध्यान
Kampioen Work प्राइवेट लिमिटेड नामक इस कंपनी में 100 प्रतिशत रिसाइकल होने वाले पेपर का यूज करके ही पेंसिल बनाई जाती है, ताकि उससे पर्यावरण को कोई नुक़सान न पहुँचे। इसके साथ ही पेंसिल को तैयार करते समय ग्राहक की सुविधा और हर आयु वर्ग का ध्यान रखा जाता है, ताकि उससे डिजाइन से किसी को कोई दिक्कत न हो।
फिलहाल Kampioen Work द्वारा तैयार किए गए एक पैक में 12 पेपर पेंसिल आती हैं, जिसकी क़ीमत 252 रुपए है। इसके अलावा पेंसिल की क्वालिटी, पैकेजिंग और मार्केटिंग का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। निवेदिता ने स्टार्टअप करने से पहले प्रोडक्ट के चुनाव और निर्माण को लेकर काफ़ी रिसर्च की थी, इसलिए वह जानती हैं कि इससे आने वाले समय में पर्यावरण पर बेहतर असर पड़ेगा और दुनिया भर में पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई पर रोक लाई जा सकेगी।
अमेजॉन पर भी उपलब्ध है पेपर पेंसिल
अगर आप इस ईकोफ्रेंडली पेपर पेंसिल का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आप इसे अमेजॉन से आसानी से खरीद सकते हैं। पेंसिल की पैकेजिंग एक बेलनाकार बॉक्स में की गई है, जिसका नाम व्हाट्सअप बबल रखा गया है। ऐसे में अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो अमेजॉन से इस व्हाट्सअप बबल को आसानी से आर्डर करके घर मांगा सकते हैं।
हम तो यही सुझाव देंगे कि आप भी ईकोफ्रेंडली पेपर पेंसिल का इस्तेमाल करें और दुनिया भर में हो रही पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने में अपना सहयोग दें। पेड़ न सिर्फ़ हमारे पर्यावरण को हरा-भरा रखने में मदद करते हैं, बल्कि यह धरती पर मौसम के चक्र को बनाए रखने और बरसात करने में सहयोग करते हैं।
धरती में जैसे-जैसे पेड़ों की संख्या घटती जा रही है, वैसे-वैसे बढ़ती गर्मी के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ग्लेशियर के पिघलने की वज़ह से समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है, जो बाढ़ और सुनामी जैसी तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार है। लिहाजा पेड़ों को बचाने में अपना योगदान दें और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भागीदारी निभाए।