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पांचवी पास किसान ने धान के पुआल से बना दी साड़ी, जानिए कैसे इस किसान ने ये कमाल किया

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आंध्र प्रदेश: खेतों में आपने तरह-तरह की फसलें देखी होंगी। बहुत-सी फसलें ऐसी भी होती है जिनसे बड़ी-बड़ी कंपनियाँ मशीनों की मदद से तमाम तरह की चीजें बना देती हैं। कंपनियों में जाकर बनने वाली चीजों से हमें कभी कोई आश्चर्य नहीं होता है। क्योंकि उन कंपनियों में तमाम तरह की मशीनों के साथ बड़े-बड़े इंजीनियर भी लगे होते हैं। जिसमें ख़र्च भी बहुत ज़्यादा आता है।

लेकिन यदि आपसे हम कहें कि किसान आज ख़ुद भी देसी वैज्ञानिक की भूमिका में आ चुका है तो आपको ये बात कैसी लगेगी। क्योंकि आपने अब तक देखा होगा किसान अब तक गोबर से खाद या उपले बनाते हैं। फ़सल कटाई के बाद बचने वाली पुआल को किसान या तो पशुओं को खिलाने के काम में लगा देते हैं, या फिर ज ला देते हैं। कुछ सालों पहले गांवों में पुआल से छप्पर भी बनाए जाते थे। लेकिन आज हम आपको जिस किसान की कहानी बताने जा रहे हैं उसने पुआल से साड़ी बनाकर अलग ही कारनामा कर दिखाया है।

मोव्वा कृष्णमूर्ति (Mowwa Krishnamurthy)

पुआल से साड़ी बनाने वाले किसान का नाम मोव्वा कृष्णमूर्ति (Mowwa Krishnamurthy) है। इनकी उम्र 70 साल है और ये आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) प्रकासन जिले के प्रचरु मंडल के गाँव विरन्ना पलेम के रहने वाले हैं। आज ये पुआल से साड़ी बनाने के अपने कारनामे से बेहद चर्चा में आ गए हैं। हर कोई ये देखकर हैरान है कि कैसे कोई पुआल से साड़ी बना सकता है, वह भी बेहद बारीकी से।

इस तरह से मिली प्रेरणा

इस किसान ने कोई पहली बार पुआल से कुछ बनाने का कारनामा नहीं किया है। वह BBC को बताते हैं कि जब वह खेतों में पड़ी पुआल देखते थे, तो उन्हें इससे कुछ बनाने का विचार हमेशा से आता था। उन्होंने एक बार सूखी घास से जब कपड़ा बनाया था तो इसकी ख़ूब चर्चा हुई थी। इसके बाद उन्हें पुरस्कार भी मिला था।

एक प्रतियोगिता के दौरान उनसे कहा गया था कि सूखी घास से कोई चीज बनानी है, तो उन्हें इस प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। इनके प्रतियोगी जिन्होंने जूट से दुपट्टा बनाया था उन्हें प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था। भले ही कृष्णमूर्ति इस प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहे हो, पर इनके अंदर ख़ुशी पहले स्थान पर भी आने वाले से भी कहीं ज़्यादा थी।

महामहिम ने भी किया है सम्मानित

कृष्णमूर्ति ने जब सोचा कि क्यों ना पुआल से साड़ी बना दी जाए तो सभी हैरान हो गए। लेकिन कृष्ण मूर्ति लगातार अपने काम की तरफ़ आगे बढ़ते रहे। एक दिन वह आ गया जब पुआल से बनकर उनकी साड़ी तैयार हो गई। जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने है। सूखी घास से कुछ बनाने वाली प्रतियोगिता में भले ही कृष्णमूर्ति दूसरे स्थान पर रहे हो। पर आज वह तमाम राज्य सरकारों के साथ महामहिम राष्ट्रपति के हाथों से भी सम्मानित हो चुके हैं। जो कि उनके लिए बेहद गौरव की बात है।

लोगों ने ख़ूब किया पसंद

मोव्वा कृष्णमूर्ति (Mowwa Krishnamurthy) के द्वारा बनाई गई साड़ी आज लोगों को ख़ूब पसंद आ रही है। प्रशासन की तरफ़ से जब भी कोई प्रदर्शनी लगाई जाती है, तो उनकी साड़ी वहाँ चार-चांद लगा देती है। वह आज इसी साड़ी की वज़ह से अपने इलाके में मशहूर होने के साथ कमाई भी कर रहे हैं।

धान के पुआल से साड़ी बनाने का वीडियो यहां देखें –

अपनी कला को ख़त्म नहीं होने देना चाहते कृष्णमूर्ति

कृष्णमूर्ति आज बेहद खुश होने के साथ एक ग़म भी सरकार के साथ साझा करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि अमूमन जब भी कोई अच्छा काम करता है, तो सरकार की तरफ़ से उसे अवार्ड या कुछ राशि देकर भूल जाया करती है। लेकिन कृष्णमूर्ति अपनी इस कला के लिए कलाकारों के हिस्से की पेंशन को भी लेना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि इस पेंशन के माध्यम से ही अपनी इस कला को अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जाए। ताकि उनके हाथ से बनी यह कला हमेशा जीवित रह सके।

केवल पांचवी पास हैं कृष्णमूर्ति

कृष्णमूर्ति का काम भले ही किसी वैज्ञानिक जैसा हो, पर वास्तव में वह केवल पांचवी पास हैं। उनके पिता हमेशा से चाहते थे कि वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर कोई बड़ा काम करें। लेकिन कृष्णमूर्ति का मन बिल्कुल भी पढ़ाई-लिआई में नहीं लगता था। ऐसे में उन्होंने अपने पिता से ये कहकर पढ़ाई छोड़ दी कि खेती-बाड़ी में भी अच्छा मुनाफा है। साथ ही जब उनकी शादी होगी तो भी ख़र्च उठाने में इससे कोई परेशानी नहीं आएगी। आज भले कृष्णमूर्ति अनपढ़ की तरह हैं, पर उनके काम ने उन्हें एक अलग पहचान के साथ सम्मान भी दिए हैं। इसलिए ‘AWESOME GYAN’ उनके काम और उनके जज्बे को सलाम करता है।

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News Desk
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