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90 के दशक में बेहद मशहूर थी ये 17 चीजें, जिन्हें हासिल करके आती थी ‘राजा बाबू’ वाली फिलिंग

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90s childhood memories India – 90 के दशक की भुली बिसरी यादें जब भी याद आती हैं, हर किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। आज बीतते समय के साथ काफी कुछ बदल चुका है और सबकुछ बहुत ही एडवांस और आधुनिक हो चुके हैं, जिसकी वजह से लोगों की लाइफ और भी ज्यादा बिजी हो चुकी है।

ऐसे में आज हम आपको 90 के दशक में फेमस उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें हासिल कर लेना किसी जं ग को जीतने से कम नहीं होता था। यकीनन इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके चेहरे पर भी बड़ी सी मुस्कुराहट आ ही जाएगी-

हीरो और एटलस ब्रांड की साइकिल

90 के दशक में जिस बच्चे या शख्स के पास हीरो ब्रांड की साइकिल होती थी, उसे सबसे कूल और अमीर माना जाता था। उस दौर में इस साइकिल का सामान्य सा लुक भी बहुत आधुनिक लगता था, वहीं एटलस की साइकिल भी बच्चों के बीच काफी मशहूर थी।

घर पर कलर या ब्लैक एंड व्हाइट टीवी

90 के दशक में भले ही रंगीन टीवी चलन में थे, लेकिन उनकी कीमत इतनी ज्यादा थी कि एक सामान्य आय वर्ग वाला व्यक्ति उसे खरीद नहीं सकता था। ऐसे में उस दौर में किसी व्यक्ति के घर पर ब्लैक एंड व्हाइट टीवी होना, अमीरी की निशानी माना जाता था।

90 के दशक में पूरे मोहल्ले में किसी एक व्यक्ति के घर पर टीवी होता था और सभी लोग उसी घर में इकट्ठा हो जाते थे, ताकि दूरदर्शन पर अलग अलग प्रोग्राम और समाचार देख सके।

लैंडलाइन फोन का रूतबा

आज के जमाने में एक ही घर पर 4 से 5 मोबाइल होते हैं, जो बहुत ही नॉर्मल बात है। लेकिन 90 के दशक में किसी के घर पर लैंडलाइन फोन होना अमीर की निशानी होता था, आस पड़ोस में रहने वाले लोगों के फोन भी उसी लैंडलाइन पर आते थे।

बजाज स्कूटर की सवारी

90 के दशक में बजाज स्कूटर के स्टार्ट होते ही गली मोहल्ले में एक शोर शुरू हो जाता था, जिससे सबको पता चल जाता था कि पड़ोस से किसी की सवारी निकली है। उस दौर में बजाज स्कूटर को लग्जरी व्हीकल माना जाता है, जिसमें बैठकर स्कूल पहुंचने वाला बच्चा खुद को राजकुमार से नहीं समझता था।

हैप्पी बर्थ-डे टू यू

आज के समय में बड़े होटल या रेस्टोरेंट में जाकर बर्थ-डे मनाया जाता है, जिसमें कुछ 4 से 5 लोग ही इकट्ठा होते हैं। लेकिन 90 के दशक में सेलिब्रेट किए जाने वाले बर्थ-डे सबसे खास और मजेदार होते थे, जिसकी धूम पूरे मोहल्ले में होती थी।

उस दौर में जन्मदिन से 1 दिन पहले ही तैयारी शुरू हो जाती थी, बेकरी पर केक का आर्डर देने से लेकर नमकीन, बिस्किट, टॉफी, समोसे और फ्रूटी से सजी प्लेट हर बच्चे को बेहद पसंद थी। इसके साथ ही नाच गाना और शोर शराबा जन्मदिन में चार चांद लगाने का काम करता था।

हाई क्लास होता था चॉकलेट खाना

उस जमाने में 5 रुपए की चॉकलेट खरीद कर खाना लग्जरी और हाई क्लास लाइफ की तरफ इशारा करता था, क्योंकि 90 के दशक में किसी भी स्कूल जाने वाले बच्चे को 1 रुपए से ज्यादा नहीं मिलता था।

ऐसे में अगर कोई बच्चा चॉकलेट खाते हुए दिखाई दे जाए, तो सभी यह सोचते थे कि वो बच्चा सच में बहुत अमीर होगा। क्योंकि वह चॉकलेट जैसी लग्जरी और महंगी चीज खरीद सकता है, जबकि बाकी बच्चे टॉफी खाकर काम चलाते थे।

लड़कियों के लिए जन्नत थी बार्बी डॉल

90 के दशक में हर लड़की के पास डॉल होना बिल्कुल भी नॉर्मल बात नहीं थी, क्योंकि उस जमाने में बार्बी गर्ल जैसी डॉल बहुत ही महंगी हुआ करती थी। ऐसे में सामान्य आय वर्ग के माता पिता अपने बच्चे को बार्बी गर्ल डॉल नहीं दिला सकते थे, इसलिए उन्हें नॉर्मल गुड़िया खरीद कर दे दी जाती थी।

उस दौर में अगर किसी लड़की के पास बार्बी गर्ल दिख जाती थी, तो उसे मोहल्ले या स्कूल की सबसे अमीर लड़की का खिताब दे दिया जाता था। क्योंकि कई लड़कियों के लिए बार्बी गर्ल से खेलना लग्जरी सपने से कम नहीं हुआ करता था।

सोनी का वॉकमैन

वर्तमान में आप अपने मनपसंद गाने सुनने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते होंगे, लेकिन 90 के दशक में पले बढ़े बच्चों के लिए सोनी ब्रांड का वॉकमैन हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती होती थी। उस वॉकमैन में रेडियो की मदद से गाने बजते थे, जिसे हासिल करने के लिए बच्चों को सौ पापड़ बेलने पड़ते थे।

बस एक टेप रिकॉर्डर

90 के दशक में अपनी आवाज रिकॉर्ड करना या कैसेट डालकर अपने मनपसंद गाने सुनना बहुत ही मजेदार काम था। लेकिन उस दौर में हर किसी के पास टेप रिकॉर्डर नहीं होता था, इसलिए 1 ही टेप रिकॉर्डर को कई लोग इस्तेमाल किया करते थे।

CASIO ब्रांड की वॉच

आजकल मोबाइल पर ही टाइम देखनो और आर्लम लगाने का काम पूरा हो जाता है, लेकिन 90 के दशक में कलाई पर घड़ी बांधना बहुत ही शान की बात समझा जाता था। खासतौर से बच्चों को एग्जाम में अच्छे नंबर लाने पर CASIO ब्रांड की घड़ी गिफ्ट की जाती थी।

स्कूल के महंगे जूते

90 के दशक में बच्चों की जिंदगी स्कूल के मजेदार पलों से जुड़ी हुई थी, जहां बच्चे अपने बेहतरीन चीजें एक दूसरे को दिखाते थे। उन्हीं में से एक थे महंगे ब्रांड के जूते, जिसमें BATA और LIBERTY का नाम शामिल था। इन ब्रांड के जूते जिस बच्चे के पैरों में होते थे, वह पूरे स्कूल में फेमस हो जाता था।

फैंसी स्टेशनरी आइटम्स

90 के दशक में स्कूल जाने वाले हर बच्चे का सपना होता था कि उसके पास एक बेहतरीन जमेट्री बॉक्स हो, जिसमें वह फैंसी और नया स्टेशनरी आइटम रखे। लेकिन उस दौर में बच्चों की ये ख्वाहिश 2 साल में एक बार पूरी होती थी और उसमें मौजूद सामान कुछ ही दिन में खराब हो जाता था।

बाहर का खाना और आइसक्रीम

उस दौर में आज की तरह कभी भी बाहर जाकर खाना खाने का प्लान नहीं बनता था, बल्कि इसके लिए 1 महीने पहले ही तैयारी करनी पड़ती थी। 90 के दशक में महीने में एक बार किसी मौके पर बाहर से खाना आता था या फिर मम्मी पापा बाहर आइसक्रीम खिलाने ले जाते थे, लेकिन उसमें एक अलग ही मजा था।

हवाई जहाज में बैठने का सपना

90 के दशक में हवाई जहाज को देखकर उसमें बैठने का सपना हर बच्चा देखता था, जबकि कुछ बच्चों को सपने पूरे भी हो जाते थे। ऐसे में हवाई जहाज की यात्रा करने वाला वह बच्चा सबसे अमीर माना जाता था, जो बहुत ही लग्जरी लाइफ जीता था। हालांकि आज भी कई लोग हवाई जहाज में बैठने का सपना देखते हैं, जो एक न एक दिन जरूर पूरा होगा।

घर में मारुति 800 कार

आज किसी व्यक्ति के पास कार होना बड़ी बात नहीं है, लेकिन 90 के दशक में मारुति 800 कार को घर के बाहर खड़ा देखकर बिल्कुल राजा वाली फिलिंग आती थी। उस दौर में जिस व्यक्ति के घर पर ये कार खड़ी होती थी, उसे गली और मोहल्ले का सबसे अमीर इंसान समझा जाता था।

2 रुपए का नोट, बच्चों की मौज

उस दौर में 2 रुपए की कीमत इतनी ज्यादा होती थी कि जिस बच्चे को वह मिल जाता था, उसके कदमों में सारी दुनिया होती थी। 90 के दशक में बच्चों को स्कूल जाते समय 50 पैसे या 1 रुपया दिया जाता था, हालांकि जिस बच्चे के पास 2 रुपए का नोट होता था स्कूल में उसका अलग ही रूतबा होता था।

वीडियो गेम वाली अमीरी

आज के दौर में एक से बढ़कर एक वीडियो गेम्स मौजूद हैं, लेकिन 90 के दशक में इस गेम को हासिल करना बिल्कुल भी आसान नहीं था। गली, मोहल्ले में खेलकूद करने वाले बच्चों को जब वीडियो गेम मिल जाता था, तो वह पूरे एरिया में खुद को किसी शहंशाह से कम नहीं समझते थे।

वक्त चाहे कितना ही क्यों न बदल गया हो, लेकिन कुछ चीजें हमेशा वैसी ही रहती हैं। फिर चाहे वो कलर टीवी का क्रेज हो या फिर भी वीडियो गेम्स का जोश, 90 के दशक में हर चीज खूबसूरत और बेहतरीन था। 90s childhood memories India

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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