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जानिए दुनिया के उन नौ शहरों के बारे में जहाँ ठंड इतनी की सांस लेना भी हो जाता है मुश्किल

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भारत में अब सर्दियों का मौसम आने वाला है। अब आगे गर्मी का मौसम जा रहा है। लेकिन भारत के लोग दिसम्बर-जनवरी की ठंड में ही ठिठुर जाते हैं। हर कोई यही कहता है कि हे भगवान! ये सर्दी कब जाएगी। क्योंकि सर्दी से लोग दो महीने में ही परेशान हो चुके होते हैं।

आइए आज हम आपको दुनिया की उन नौ ऐसी जगहों के बारे में बताते हैं। जहाँ सबसे ज़्यादा सर्दी पड़ती है। ख़ास बात ये है कि यहाँ सर्दी केवल एक दो महीने नहीं पड़ती। यहाँ पूरे साल भर हाड़ कंपा देने वाली सर्दी रहती है। आइए जानते हैं कि आख़िर कैसे झेलते हैं वहाँ के रहने वाले लोग सर्दी का इतना सितम। तो देर किस बात की आइए एक-एक कर आपको आर्कटिक क्षेत्र में बसे इन शहरों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

ओइमयाकॉन, रूस (Oymyakon, Russia)

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सर्दी का सितम झेलने वाले शहरों में सबसे पहला नम्बर रूस के ओइमयाकॉन शहर का आता है। यहाँ केवल 500 लोगों की आबादी निवास करती है। साथ ही ये शहर आर्कटिक सर्कल से महज़ 500 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। जनवरी माह में यहाँ का तापमान -50 डिग्री तक के भी नीचे आ जाता है। दिलचस्प बात ये हैं विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की सेना ने रूस में ही ठंड के चलते आगे नहीं बढ़ पाई थी।

साल 1967 में यहाँ अब तक का सबसे कम -67.7 डिग्री तापमान नोट किया गया था। जो कि अब तक की यहाँ सबसे ज़्यादा ठंड है। इंसानों के साथ यहाँ गाड़ियों को भी ठंड का सितम झेलना पड़ता है। गाड़ियों के इंजन दोबारा चालू हो जाए इसलिए यहाँ के लोग गाड़ी को हीटर वाली गैराज में खड़ा करते हैं। ताकि गाड़ी का इंजन ऑयल जमे नहीं।

खेती करना तो यहाँ बिल्कुल नामुमकिन है। साथ ही लोग यहाँ चश्मा नहीं पहनते, क्योंकि ठंड के चलते फ्रेम चेहरे पर ही जम जाता है। यहाँ फ़सल न होने के चलते लोग मछली का सेवन करते हैं। साथ ही ख़ुद को गर्म रखने के लिए मैक्रोनी के साथ घोड़े के खून से बने बर्फ के क्यूब्स का सेवन करते हैं।

वेरखोयांस्क,रूस (Verkhoyansk, Russia)

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याकुटिया (Yakutia) क्षेत्र में स्थित यह साइबेरियन गाँव ओइमयाकॉन गाँव के जैसा ही ठंडा है। हालांकि यहाँ हमेशा एक जैसी ठंड नहीं रहती। इसलिए सर्दियों के दौरान जब यहाँ बहने वाली ‘याना’ नदी बर्फ से जम जाती है, तो लोग उसी पर से गाड़ी चलाकर अपना सफ़र तय करते हैं। साथ ही गर्मियों में जब नदी की बर्फ पिघल जाती है, तो हेलीकॉप्टर से अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ती है।

यहाँ के लोग ख़ुद को ठंड से बचाने के लिए घरों में सेंट्रल हीटिंग प्लांट का उपयोग करते हैं। जो कि पूरे घर को गर्म रखता है। ये हीटर लकड़ी से चलता है, जो कि हमेशा चलता ही रहता है। जिससे यहाँ के लोगों का जीवन आम लोगों की तरह ही बन जाता है।

स्नेग, कनाडा (Snag, Canada)

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कनाडा देश में भी जबरदस्त ठंड पड़ती है। यहाँ स्नैग कनाडा के यूकोन में अलास्का राजमार्ग के पास एक छोटा-सा गाँव मौजूद है। जहाँ जनवरी माह में उत्तरी अमेरिका का अबतक का सबसे कम तापमान -63 डिग्री दर्ज किया गया है। यहाँ सर्दियों में आमतौर पर इतनी ज़्यादा ठंड बढ़ जाती है कि लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकलते। यहाँ लोगों के घरों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की गाड़ियों में आमतौर पर हीटर को चालू रखा जाता है। ताकि लोगों को सर्दी न लगे।

उलानबटार, मंगोलिया (UlaanBaatar, Mongolia)

मंगोलिया की राजधानी उलानबटार भी ठंड की आगोश में ज्यादातर समाई ही रहती है। यहाँ 2015 में तापमान जीरो से भी नीचे -43 डिग्री तक पहुँच चुका था। लम्बे समय से यहाँ रहने वाली आबादी इस सर्द मौसम को झेलने की आदी हो चुकी है। लेकिन यहाँ फैले प्रदूषण से लोगों को अब भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

यहाँ लोग यर्टस (Yurts) के बने घरों में रहते हैं। जिन्हें साधारण भाषा में ‘तम्बू’ कहा जाता है। लोग अपने तम्बू के बने घरों कोयले को जलाकर उसे गर्म रखते हैं। साथ ही सर्दी जब तेज हो जाती है, तो अपने घरों से निकलना कम ही पसंद करते हैं।

यहाँ की सरकार अब लोगों को हीटिंग सिस्टम वाले घर देने की व्यवस्था करने में लगी हुई है, ताकि लोगों को तम्बू वाले घरों से निजात दिलाई जा सके। साथ ही यहाँ लोगों को सर्दी के साथ भीषण धुंध का भी सामना करना पड़ता है। क्योंकि यहाँ सर्दी के मौसम में पूरे शहर में धुंध की चादर बिछ जाती है।

अस्ताना, कजाख्‍स्तान (Astana, Kazakhastan)

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उलानबटोर के बाद अस्ताना दूसरा सबसे ठंडा शहर है। यहाँ सर्दियों में अमूमन -30 से -35 डिग्री तक तापमान नोट किया गया है। यहाँ आठ लाख की आबादी रहती है, जिसे अब मानो ठंड में रहने की आदत हो चुकी है। आपको बता दें कि अस्ताना में महाद्वीपीय जलवायु पाई जाती है। साथ ही यहाँ नवंबर से अप्रैल माह तक नदी नाले सब जम जाते हैं। यहाँ कम और ज़्यादा सर्दी के साथ लोगों को सूखी सर्दी का भी सितम झेलना पड़ता है। जो कि बेहद खतरनाक होती है।

हार्बिन, चीन (Harbin, China)

चीन का ये शहर भी सर्दी की मार से परेशान है। यहाँ करीब एक करोड़ की आबादी रहती है। कड़ाके की ठंड के चलते इसे दुनियाभर में “आइस सिटी” के नाम से जाना जाता है। यह चीन के हेइलोंगजियांग प्रांत की राजधानी है। चीन का यह शहर दुनिया में बर्फ के लिए जाना जाने वाले त्योहारों में से एक ‘हार्डिन इंटरनेशनल शो और आइस फेस्टिवल’ की मेजबानी भी करता है।

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यदि हम यहाँ के तापमान की बात करें तो यहाँ अमूमन -22 से -24 डिग्री तापमान पाया जाता है। लेकिन कई बार यहाँ -44 डिग्री तक तापमान नोट किया गया है। साथ ही चीन का ये शहर वहाँ के सबसे ज़्यादा सर्दी झेलने वाले और लंबे समय तक सर्दी का मौसम रहने के लिए जाना जाता है।

येलोनाइफ़, नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज़, कनाडा (Yellowknife, Canada)

ये शहर भी कनाडा में स्थित है। येलोनाइफ कनाडा के नॉर्थ वेस्ट इलाकों की राजधानी है। यहाँ करीब बीस हज़ार लोगों की आबादी रहती है। जो कि आर्कटिक से करीब 514 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। यहाँ के मौसम की ख़ास बात ये है कि यहाँ नवंबर से अप्रैल माह के बीच ‘लंबी तथा साफ़ रातें’ होती हैं। आर्कटिक जलवायु के कारण यहाँ का तापमान जनवरी माह में जीरो से -32 डिग्री तक गिर जाता है।

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येलोनाइफ को दुनियाभर में सबसे ‘ठंडे कनाडाई शहर’ के रूप में जाना जाता है। साल 1947 में यहाँ तापमान -51 डिग्री तक दर्ज किया गया था। आसमान साफ़ होने के चलते यहाँ आकर्षक उत्तर ध्रुवीय आभा भी दखने को मिलती है।

याकुतस्क, सखा गणराज्य, रूस (Yakutsk, Russia)

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ये शहर भी रूस में ही बसा हुआ है। आर्कटिक क्षेत्र से महज़ कुछ सौ किलोमीटर की दूरी होने के चलते यहाँ सर्दी दूसरे शहरों से पहले आ जाती है। याकुत्स्क रूस में सखा गणराज्य की राजधानी है। यहाँ लगभग दो लाख की आबादी रहती है। यदि हम यहाँ के तापमान की बात करें तो जनवरी माह में यहाँ का तापमान -38 से -41 डिग्री तक आ जाता है। इस शहर की सब आर्कटिक जलवायु इसे सर्दियों में बेहद कठोर और कष्टकारी बना देती है।

वोस्तोक, अंटार्कटिका (Vostok, Antarctica)

यह कोई देश या शहर नहीं है। वोस्तोक ‘दक्षिणी ध्रुव’ (South poll) से एक हज़ार किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ स्थान है। यहाँ इंसान के रूप में केवल वैज्ञानिक जाते हैं। इस दौरान वह यहाँ रहकर तरह-तरह के अनुसंधान करने का काम करते हैं। यह दुनिया से सबसे अलग-थलग क्षेत्र है, जो कि सबसे सूखा और दुर्गम क्षेत्र भी है। यहाँ सर्दियों में तापमान -129 डिग्री नीचे तक चला जाता है।

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सर्दियों के दौरान मई से अगस्त माह के बीच यहाँ सूरज देवता के दर्शन तक नहीं होते। लेकिन अच्छी बात ये है कि गर्मियों में यहाँ 22.9 घंटे तक सूरज की रोशनी पड़ती रहती है। जिससे कहा जा सकता है कि गर्मी के मौसम में यहाँ रात का पता ही नहीं चलता। यहाँ जीवन लगभग असंभव है लेकिन वैज्ञानिक अपनी जान को जोखिम में डालकर इस जगह पर महीनों तक रहते हैं। ताकि दुनिया के लिए कुछ नई खोज की जा सके।

इतना सब जानने के बाद तो आप मान ही गए होंगे कि भारत की सर्दी कुछ नहीं है। इसलिए अगली बार जब भी आप सर्दी से परेशान हों, इन देशों को याद कर लीजीएगा इससे सर्दी कम तो नहीं होगी, लेकिन सर्दी से लड़ने का आपको मज़बूत हौसला ज़रूर मिल जाएगा।

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News Desk
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तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

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