Air-powered engine : हमारे देश में एक से बढ़कर एक इंजीनियर रहते हैं, जो बिना कोई डिग्री हासिल किए घर पर जुगाड़ करके आकर्षक चीजों का निर्माण कर देते हैं। ऐसा ही कमाल कर दिखाया है आगरा में रहने वाले एक शख्स ने, जो पेशे से एक चायवाला (Chaiwala) है।
इस व्यक्ति ने एक ऐसा इंजन तैयार किया है, जो हवा के दवाब की मदद से चलता है। यह बात सुनने में अजीब जरूर लग सकती है, लेकिन आगरा के चायवाले ने इस तरह का अनोखा इंजन बनाकर हर किसी को चौंका दिया है।
हवा की ताकत से चलने वाला इंजन (Air-Powered Engine)
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) में स्थित फतेहपुर सीकरी में रहने वाले त्रिलोकी चाय (Triloki Chaiwala in Agara) और पंचर की एक छोटी-सी दुकान चलाते हैं, जिन्होंने सिर्फ पांचवी कक्षा तक पढ़ाई की है। ऐसे में त्रिलोकी ने अपने साथियों के साथ मिलकर अनोखा इंजन तैयार किया है, जो हवा की ताकत से चलने (Pollution Free Air-Powered Engine) की क्षमता रखता है।
त्रिलोकी का कहना है कि इस इंजन को गाड़ियों में लगाया जा सकता है, जिससे वायु प्रदूषण में भारी कमी आएगी और लोगों को सांस सम्बंधी बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उनका कहना है कि हवा की ताकत से चलने इस इंजन की मदद से मोटरसाइकिल से लेकर ट्रेन तक हर प्रकार का वाहन आसानी से चलाया जा सकता है।
त्रिलोकी और उनके साथियों को इस खास इंजन को तैयार करने में लगभग 15 सालों का लंबा वक्त लगा है, जिसे बनाने का आइडिया उन्हें पंचर ठीक करते हुए मिला था। दरअसल 50 वर्षीय त्रिलोकी ने 15 साल पहले ट्यूबबेल का इंजन बनाना सीखा था, जिसके बाद उन्होंने दुकान पर पंचर बनाने का काम शुरू कर दिया।
ऐसे में एक दिन त्रिलोकी अपनी दुकान पर हवा में टैंक से पंचर ट्यूब में हवा भर रहे थे, लेकिन तभी टैंक का वॉल्व अचानक लीक हो गया और उससे एयर प्रेशर बाहर निकलने लगा। हवा के दवाब की वजह से टैंक का इंजन उल्टा चलने लगा, जिसे देखकर त्रिलोकी को हवा की ताकत से काम करने वाले इंजन का आइडिया मिला।
इसके बाद त्रिलोकी ने अपना आइडिया अपने दोस्त संतोष के साथ शेयर किया, क्योंकि उनकी टीम में संतोष ने ही ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद त्रिलोकी की टीम ने बॉडी व्हील से लिस्टर इंजन तैयार किया, जिसमें पुर्जों को काम करने के लिए मोबिल ऑयल की जरूरत पड़ती है।
मोबिल ऑयल गर्म नहीं होता है, जो पेट्रोल और डीजल से चलने वाले इंजनों की तरह काम करता है। इतना ही नहीं त्रिलोकी और उनके साथियों द्वारा बनाए गए इंजन में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले इंजन के मुकाबले तीन गुना ज्यादा चिकनाई बनी रहती है।
चाय वाले के जुनून से आविष्कार:आगरा में 5वीं पास ने 14 साल की मेहनत से बनाया हवा से चलने वाला इंजन, दोस्तों ने दिया साथ और कार दिया कमाल। pic.twitter.com/aQ9Bq18jHi
— sanatanpath (@sanatanpath) November 8, 2021
इंजन तैयार करने में लगे 50 लाख रुपए
त्रिलोकी के लिए हवा की ताकत से चलने वाला इंजन तैयार करना किसी सपने से कम नहीं था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपने खेत और प्लॉट तक बेच दिए थे। दरअसल त्रिलोकी को अपनी पैतृक संपत्ति में से एक प्लॉट और खेत मिला था, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 50 लाख रुपए होगी।
ऐसे में त्रिलोकी ने अनोखे इंजन को बनाने के लिए अपना प्लॉट और खेत बेच दिया था, जबकि उनके अन्य साथियों ने भी इंजन को बनाने के लिए अपनी जमा पूंजी खर्च कर दी थी। इस तरह त्रिलोकी और उनके दोस्तों ने आपस में मिलकर 15 साल के अंदर हवा से चलने वाले इंजन का निर्माण कर लिया।
पेटेंट के लिए दे चुके हैं आवेदन
त्रिलोकी और उनकी टीम इस इंजन का पेटेंट करवाना चाहते हैं, जिसके लिए उनके दोस्त संतोष ने दिल्ली के बौद्ध विकास विभाग में सितंबर 2019 में आवेदन दिया था। उन्होंने इंजन तैयार करने से पहले ही पेटेंट के लिए आवेदन दे दिया था, ऐसे में इंजन को चालू किए बिना पेटेंट मिलना मुश्किल हो रहा था।
ऐसे में जब दिवाली में उनका इंजन बनकर तैयार हुआ और काम करने लगा, तो त्रिलोकी और उनके दोस्तों को जल्द पेंटेट मिलने की उम्मीद है। लेकिन संतोष का कहना है कि उनके पास अब और पैसे खर्च करने के लिए नहीं है, इसलिए उन्हें सरकार से उम्मीद है कि इंजन को पेंटेट मिलने के बाद उनकी फैक्ट्री लगाने में मदद की जाए।