Cycle girl Aarti Prajapat – आज की भागदौड़ भरी बिजी लाइफ में किसी के पास इतना टाइम नहीं है कि वह अपने माता-पिता के पास बैठकर वक्त बिताए, ऐसे में घर के बुजुर्ग और दादा-दादी के साथ बैठना तो बहुत दूर की बात है। लेकिन जब परिवार में प्रेम और अपने बड़ों की प्रति आदर हो, तो इंसान बिजी शेड्यूल में से भी अपनों के लिए थोड़ा-सा समय निकाल लेता है।
ऐसा ही कुछ किया 17 वर्षीय आरती प्रजापत ने, जिन्होंने अपनी दादी से मुलाकात करने के लिए 216 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया। दरअसल आरती की दादी की तबीयत काफी खराब हो गई थी, ऐसे में उन्हें जल्द से जल्द अपनी दादी के पास पहुँचना था।
साइकिल गर्ल के नाम से हुई मशहूर
आरती प्रजापत (Aarti Prajapat) को जब पता चला कि उनकी दादी की तबीयत बहुत खराब है, तो उन्होंने तुरंत अपनी साइकिल निकाली और जयपुर से भरतपुर जाने का सफर शुरू कर दिया। आरती ने 13 अक्टूबर को सुबह 4: 30 बजे अपना सफर शुरू किया था, जिसके बाद वह शाम को 7 बजे भरतपुर पहुँच गई थी।
हालांकि आरती और भी जल्दी अपनी दादी के पास पहुँच जाती, लेकिन बीच में वह रास्ता भटक गई थी। ऐसे में आरती भरतपुर जाने के बजाय आगरा की तरफ निकल गई, इस तरह आरती 20 किलोमीटर आगे चली गई। जब आरती को रास्ता भटकने का एहसास हुआ, तो वह वापस सही रास्ते पर लौट आई। लेकिन इसकी वजह से उन्हें 40 किलोमीटर साइकिल और चलानी पड़ी, जिसकी वजह से वह अपने दादा-दादी के घर लेट पहुँची थी।
घरवालों के समझने पर भी नहीं रूकी आरती
आरती बचपन से ही अपने दादा-दादी जी के काफी करीब हैं, ऐसे में जब उन्हें पता चला कि उनकी दादी जी की तबीयत खराब है तो वह उनसे मिले बिना नहीं रह पाई। आरती की माँ ने उसे साइकिल से जाने से रोकने की कोशिश की, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि आरती अकेले इतने लंबे सफर पर जाए।
लेकिन आरती ने अपने घरवालों की एक नहीं सुनी और सुबह 4: 30 बजे जयपुर से भरतपुर के लिए निकल गई, वह नहीं जानती थी कि रास्ते में उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन आरती अपने फैसले और साइकिल के पैडल के दम पर इतना लंबा सफर अकेले तय करने में कामयाबी रहीं।
सुरक्षा को लेकर चिंतित थे माता-पिता
आरती रोजाना 50 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं, लेकिन वह आज तक जयपुर से बाहर नहीं गई थी। ऐसे में आरती के माता-पिता को उसकी सुरक्षा की चिंता सता रही थी, हालांकि जब आरती ने भरतपुर पहुँचकर अपने पिता को फोन किया तो उनकी जान में जान आई।
11वीं कक्षा में पढ़ने वाली आरती साइकिल के जरिए अपने दादा दादी के पास तो पहुँच गई, लेकिन इतना लंबा सफर तय करने में उन्हें मुश्किल का भी सामना करना पड़ा था। रास्ते में आरती की साइकिल की चैन कई बार उतर गई थी, हालांकि उन्होंने चैन दोबारा लगाकर अपना सफर जारी रखा।
साइकिल से रिश्तेदारों से मिलने की चाह
आरती प्रजापत चाहती हैं कि वह आगे भी अपने रिश्तेदारों से मुलाकात करने साइकिल से ही जाए, क्योंकि यह उनका सबसे अहम सपना है। आरती को बचपन से ही साइकिल चलाने का शौक था, ऐसे में जब एक बार उनके पैर पैडल पर पड़े तो फिर उन्होंने कभी रूकना नहीं सीखा।
आरती के दादा-दादी भरतपुर के डेहरा गाँव में रहते हैं, जहाँ तक पहुँचने के लिए आरती ने 216 किलोमीटर का सफर साइकिल पर तय किया। इस 17 वर्षीय लड़की की हिम्मत और जस्बा देखकर हर कोई हैरान है, जबकि आरती अपनी दादी से मिलकर बेहद खुश हैं।