जगत के पालनकर्ता औऱ सृजनकर्ता को समर्पित विष्णु पुराण जिसमें, भगवान विष्णु की लीलाओ व कल्कि अवतार का सचित्र वर्ण किया गया हैं उसी के 6वें अंश के सबसे पहले अध्याय अर्थात् “कलिधर्मनिरुपण” में, पराश्रर जी जो कि महर्षि व्यास जी के पुजनीय पिता जी है ने, कलयुग में, महाविनाश की उन खतरनाक और ख़ौफ़नाक 11 भविष्यवाणियो के बार में, उल्लेख किया गया हैं कि पृथ्वी पर मानव और इसके अस्तित्व को पूरी तरह से समाप्त कर सकता हैं जिसके कुछ-कुछ गंभीर परिणाम हमें, अभी से देखने को मिलने लगे हैं तो बिना किसी देरी के बताते हैं आपको महा-विनाश की 11 भविष्यवाणियों के बारे में–
भूत प्रेत लेगें देवताओ के स्थान और होगी इनकी आराधना
महाविनाश की अपनी पहली भविष्यवाणी में, पराश्रर जी कहते हैं कि कलयुग में, भूत-प्रेत देवताओ की जगह लेंगे और कलयुग के मानव इनकी आऱाधना करके ख़ुद को साधु-सन्त कहलाने का अधर्मी पाखंड करेंगें और जो व्यक्ति जो कहेंगा वहीं सच होगा अर्थात् महाविनाश का चक्र शुरु हो जायेगा।
धन की काली छाया में, लुप्त होनें मानव के मानवीय गुण
महाविनाश की अपनी दूसरी भविष्यवाणी में, कहते हैं कि कलयुग में, घन के प्रति मनुष्यो का लालच इतना बढ जायेगा इसके नकारात्मक प्रभावो की काली छाया में, मानव के मानवीय गुण लुप्त हो जायेगे और वह नाम मात्र के अर्थात् अल्प धन से ही ख़ुद को धनवान मानने का भ्रम पालेगा।
केशो का अंहकार घर करेगा स्त्रियो में और होगा महाविनाश
तीसरी भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि कलयुग में, स्त्रियो को अपने केशो का सुन्दरता रुपक अंहकार पर गर्व होगा जिसके पीछे उनकी मेहनत की एक मोटी कमाई ख़र्च होगी जिससे उनका व उनके घर का महाविनाश होगा।
किश्तो में, जायेगी जीवन की पूरी कमाई
चौथी भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि कलयुग में, लोगों की पूरे जीवन की गाढी कमाई अपने घर की चाहत में, घर की किश्तो में, ही चली जायेगी जिससे वे कर्ज़ से दबेंगे और महाविनाशी तनाव के शिकार बनेंगे।
अकाल में, किसानो की होगी दुर्गति
पांचवी भविष्यवाणी के तहत गया हैं कि कलयुग में, अंधाधुंध विकास की दौड वाली प्रदूषण से अकाल की उत्पति होगी जिसकी वज़ह से कलयुग के अन्नदाता आत्महत्या करने पर मजबूर हो जायेगे।
असंयमित और अंसतुलित खान-पान से होगा महाविनाश
छठी भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि कलयुग के मनुष्य असंयमित और असंतुलित खान-पान के शिकार होगें, केवल तृप्ति के लिए खाना खायेगे जिससे उनका स्वास्थ्य पतन होगा और महाविनाश के गर्त में, डूबते चले जायेगे।
कलयुग में, टैक्स की वज़ह से रक्षक ही बनेंगे भक्षक
सातंवी भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि कलयुग में, टैक्स के चलते मनुष्यो के रक्षक ही उसके भक्षक बनेंगे और अपनी स्वार्थ-सिद्धी में, लगे रहेंगे जिससे मानवता का महाविनाश शुरु होगा।
अल्पायु में, होंगे पके बालो के शिकार
आठवीं भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि कलयुग में, मानवो के बीच तनाव इतना होगा कि सिर्फ़ 12 साल की अति-अल्पायु में, ही लोगों के बाल पकने लंगेगे।
औसत 20 वर्ष ही होगी लोगों की आयु
नौवीं भविष्यवाणी के तहत कहा गया है कि कलयुग में, लोगों का असंतुलित खान-पान, असंयमित जीवन-शैली के कारण लोगों का औसत जीवन केवल 20 वर्ष का ही रह जायेगा।
बेरस साग-सब्जियो और घान के आकार में, होगी गिरावट
दसवीं भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि कलयुग में, प्रदूषण इतना बढ जायेगा कि साग-सब्जियो व फलो के भीतर की पौष्टिक रसो का नाश हो जायेगा, घान के दानें बेहद छोटे हो जांयेगे और गिरती जलीय गुणवत्ता के कारण मानवता का अन्त शुरु हो जायेगा।
शुरु होगा महा-प्रलय का तांडव
ग्यारहवीं भविष्यवाणी के तहत कहा गया हैं कि अहसनीय गर्मी, अकाल और अनावृष्टि से चारो तरफ़ हाहाकार मच जायेगा तब विष्णु एक सतरंगी किरण में, समाहित होंगे जिससे पहले से ही बढी हुई गर्मी की मात्रा अहसनीय स्तर पर पहुँच जायेगी जिससे चारो तरफ़ का जल सूख जायेगा, मृत्युदायक अकाल की उत्पत्ति होगी जिससे महाविनाश की महाप्रक्रिया का अनवरत चक्र शुरु हो जायेगा।
सुक्षाव–
हमारा अस्तित्व संकट में, हैं इसलिए हमें, इस पवित्र महापुराण अर्थात् विष्णु पुराण की 11 भविष्यवाणियो को हर संभव स्तर तक रोकने का प्रयास करना चाहिए ताकि हमारा अस्तित्व सुरक्षित और संवर्धित रहें।